Book Title: Sramana 2005 01
Author(s): Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 251
________________ दनया । अर्थ :- तेथी में तेणीने पूछयु - “हे पुत्रि! तुं शा कारणथी विमनस्क दुःखीछे? त्यारे तेणीवड़े दीर्घ निःसासा सिवाय कोइज प्रत्युत्तर न अपायो। हिन्दी अनुवाद :- अत: मैंने उससे पूछा - "हे पुत्री! तूं किस लिए अन्यमनस्क और दुःखी हो? तब उसने मात्र दीर्घ नि:श्वास ही छोड़ा और कुछ भी प्रत्युत्तर नहीं दिया। गाहा : अंसु-जल-पूरियाई नयणाई दीण-वयणाए । - तत्तो य मए पुट्ठा तीए सही हंसिया नाम ।।१६९।। छाया : अश्रु-जल पूरितानि नयनानि कृतानि दीन-वदनया । ततश्च मया पृष्टां तस्याः सखी हंसिका नाम ||१६९।। अर्थ :- पण अशु-जल भरेला नयनोवडे दीन मुखवाळी थई, तेथी ये तेणीनी "हंसिका" नामनी दासीने पूछयु! हिन्दी अनुवाद : - अश्रु जल से भरे हुए नयनों द्वारा दीनवदना पुत्री को देखकर मैंने "हंसिका' नाम की दासी से कारण पूछा ? गाहा : तीए भणियं अंबे! उज्जाणं अज्ज पाविया अम्हे । पूइय मयणं बाहिं नीसरिया जाव ता दिह्रो ।।१७०।। कोउगवक्खित्त-मणो उवविट्ठो भाणुवेग-पासम्मि । पच्चक्खोव्व अणंगो एगो तरुणो महाभागो ।।१७१।। छाया : तया भणितं अम्बे! उद्यानमद्य प्रापिता वयम् । पूजयित्वा मदनं बहिर्निसृता यावत् तावत् दृष्टः ।।१७०।। कौतुक-व्यक्षिप्त-मन उपविष्टो भानुवेग-पार्श्वे । प्रत्यक्षेवनंग एकस्तरुणो महा भागः ||१७१।। अर्थ :- तेणीए कहयु :- हे माता! आजे अमे उद्यानमांजई मदननी पूजाकरीने जेटलीवारमा बहार नीकळया तेटलीवारमा भानुवेगनी पासे कौतुकथी खेंचायेला मानवाळो महाभाग्यवान् साक्षात् कामदेव जेवो एक तरुण बैठो हतो। हिन्दी अनुवाद :- उसने मुझसे कहा - हे माता! आज जब हम उद्यान में मदन की पूजा करके बहार निकले तब भानुवेग के साथ कौतुक से आकृष्ट चित्तवाला महाभाग्यवान् साक्षात् कामदेव जैसा एक युवक वहां बैठा था। 108 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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