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हिन्दी अनुवाद :- उसकी दृष्टि अपने ऊपर गिरते ही वह स्वयं को सौभाग्यवान और जीवन को कृतार्थ मानती हुई पुलकित अंगवाली हो गयी... । गाहा :
अवरुंडइ सहि-निवहं उच्चं संलवइ हंसइ अनिमित्तं ।
पायंगुह्रण महिं विलिहइ केसे य संजमइ।। १८२।। छाया:
परिरभते सखि-निवह-मुच्चं संलपति हसति अनिमित्तम् ।
पादाङ्गुष्ठेन महिं विलिखति केशांश्च संयमति ।। १८२।। अर्थ :- तथा सखि समुदायने भेटवा लागी, उच्चस्वरे बोलवा लागी कारण-वगर ज हसवा लागी, पगना अंगूठावड़े पृथ्वी खोदवा लागी अने वाळोने सजाववा लागी। हिन्दी अनुवाद :- तथा सखि समुदाय का आलिङ्गन करने लगी, उच्चस्वर से बोलने लगी, निष्कारण हंसने लगी, पैर के अंगूठे से पृथ्वीतल खोदने लगी और केशों को सजाने-संवारने लगी। गाहा :
एमाइं सवियारं चेटुंता कीलिऊण खणमेगं ।
मयण-सर-विहुरियंगी इहागया एरिसा जाया ।।१८३।। छाया :
एवमादि सविकारं चेष्टयन् क्रीडित्वा क्षणमेकम् ।
मदन-सर-विधुरिताङ्गी इहागता ईदृशी जाता ।।१८३।। अर्थ :- इत्यादि विकारयुक्त चेष्टाने करती एक क्षण क्रीडा करीने कामदेव ना बाणथी विधुरित अवाळी अहीं आवेली आवाप्रकारनी धई छ। हिन्दी अनुवाद :- विकारयुक्त चेष्टा से क्रीड़ा करके कामदेव के बाण से बेधित देहवाली इसकी यहाँ ऐसी अवस्था हुई है। गाहा :
एवं च हंसियाए भणियम्मि पुणो वि सा मए पुट्ठा । को सो पुरिसो हंसिणि!, कहियं सव्वंपि मह तीए ।।१८४।।
छाया :
एवं च हंसिकायां भणिते पुनरपि सा मया पृष्टा ।
कः सः पुरुषो हंसिनि! कथितं सर्वमपि मह्यतया ||१८४।। अर्थ :- आ प्रमाणे हंसिका कहे छते फरि पण मारावड़े ते पूछाई - हे हंसिनि। ते पुरुष कोण छे? अने तेनावड़े मने बधु ज कहेवायु।
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