Book Title: Sramana 2005 01
Author(s): Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 238
________________ अर्थ :- आवाप्रकारनी स्त्रीओनी दृष्टि आपणा अंग उपर पड़ती देह ने अस्वस्थ करे छे अने अवश्य हृदय पण हरे छे।। हिन्दी अनुवाद :- ऐसी स्त्रियों की दृष्टि अपने अंग पर गिर जाय तो देह अस्वस्थ हो जाती है और हृदय भी हर लिया जाता है। गाहा : तत्तो य मए भणियं परिहास-परो सि अम्हे एमेव । पुच्छामो कोउगेणं तं पुण अन्नं विअप्पेसि ।।१२८।। छाया : ततश्च मया भणितं परिहास-परोऽसि आवां एवमेव । पृच्छामि कौतुकेन तत्पुनरन्यं विकल्पसे ।।१२८।। अर्थ :- व्यारपछी मारावडे कहेवायु - “शुं अमेज परिहास पात्र बन्या ? अमे तो कौतुकवड़े पूछयु अने तमे तो बीजा ज विकल्पो को छो" ? हिन्दी अनुवाद :- तत्पश्चात् मैंने कहा - "अरे! मैं भी क्या उपहासपात्र बना?'' मैंने तुझे कौतुक से पूछा? और तू तो और ही विकल्प करने लगा। गाहा :- नवयुवति परिचय तो भणइ भाणुवेगो इमम्मि नयरम्मि अत्थि पयड-जसो। खयरो अमियगई तस्स भारिया चित्तमालत्ति ।।१२९।। छाया : ततश्च भणति भानुवेगः एतस्मिन्नगरे अस्ति प्रकट-यशः। खेचरोऽमितगतिः तस्य भार्या चित्रमालेति ।।१२९।। अर्थ :- त्यारपछी भानुवेग कहे छे - आ नगरमां प्रकटयशवाळो अमितगति नामनो खेचर छे अने तेनी पत्नी “चित्रमाला" (ए प्रमाणे) छे ! हिन्दी अनुवाद :- पुन: भानुवेग कहता है - इस नगर में प्रख्यातयशस्वी अमितगति नाम का खेचर है और उनकी पत्नी “चित्रमाला" है। गाहा : एसा एगा धूया ताणं जाया अणोवम-गुणवा । नामेण कणगमाला विन्नाण-समन्निया कन्ना ।।१३०।। छाया : एषा एका दुहिता तयोः जाताऽनुपम-गुणाठ्या। नाम्ना कनकमाला विज्ञान-समन्विता कन्या ।।१३०।। अर्थ :- ते बोनी आ एक पुत्री अनुपम गुणथी युक्त ज्ञान-विज्ञानथी समन्वित नामवड़े “कनकमाला” छे! 95 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280