Book Title: Sramana 1998 01
Author(s): Ashokkumar Singh, Shivprasad, Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi
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स्वयं की अनेकान्तमयी समझ से तनावमुक्ति होने से वह प्रसन्न है। किन्तु जब कुछ समय बाद जनता या समाचार पत्र उसका उल्लेख करना बंद कर देंगे तब उसे लगेगा कि अब वह प्रसिद्ध नहीं रहा है। तब या तो उसे उस बदलाव को या निराशा को स्वीकारना होगा। सारांश यह है कि जिस रूप में वह अपना परिचय या अस्तित्व मानता है या जिस परिचय के आधार पर वह गौरवान्वित एवं प्रसन्न होता है उस रूप में या उस परिचय में अप्रिय बदलाव आते ही उसे परेशानी या निराशा या तनाव हो सकते हैं।
एक व्यक्ति स्वयं को क्या मानता है, स्वयं को क्या बनाना चाहता है, व समाज उसे क्या मानता है, इन तीनों में जितना अधिक अन्तर होगा उतना अधिक तनाव उस व्यक्ति के जीवन में होगा। इस प्रकार की मान्यता आज आधुनिक मनोवैज्ञानिकों की है जिसका उल्लेख पाश्चात्य विद्वान् डोनाल्ड नोरकाक' ने भी किया है।
___ चाहे भूतपूर्व प्रसिद्ध खिलाड़ी हो या भूतपूर्व राष्ट्रपति या भूतपूर्व चन्द्रयात्री, सामान्यतया हर व्यक्ति किसी न किसी प्रकार के तनाव से ग्रसित हो सकता है। तनाव का विश्लेषण करने पर हम देखेंगे कि प्रत्येक तनाव का मूलभूत कारण या तो वह अपने से अन्य किसी और के परिचय या अस्तित्त्व में अपना परिचय या अस्तित्व मान लेता है या अपने बदलते हुए परिचय को बदलने योग्य परिचय न मानकर उसे अपना स्थायी परिचय या अस्तित्त्व मान लेता है।
वर्तमान में तनाव का कारण पारिवारिक अशान्ति हो, या स्वास्थ्य हो, या यश में कमी हो, या अपराध भाव हो, या और भी कुछ हो, जो भी कारण हो उसका विश्लेषण करने पर इसी सिद्धान्त की पुष्टि होगी कि दूसरे में "मैं' या बदलने योग्य अवस्था में "मैं'' आरोपित करने से ही तनाव पैदा होता है।
इतना पढ़ने के उपरान्त कोई पाठक यह जानना चाहेगा कि क्या एक धनी, धन से प्रसन्नता अनुभव न करे? इस प्रश्न के समाधान हेतु एक सामान्य उदाहरण पर विचार करते हैं। कल्पना करें हम एक बालक के माता-पिता की जो बालक को एक मंहगा गुब्बारा खरीद कर दिलाते हैं व बालक के साथ वे गुब्बारे से खेल रहे हैं। बालक बहुत प्रसन्न है क्योंकि उसके पास अच्छा गुब्बारा है, उसके मम्मी-पापा उसके साथ खेल रहे हैं। अब यदि एक छोटा सा प्रश्न आप यहाँ पूछते हैं कि माता-पिता इससे प्रसन्न होंगे या नहीं? तो इसका उत्तर देने के पूर्व हम आप से यह जानना चाहेंगे कि वे गुब्बारे खरीदने की सामर्थ्य से उत्पन्नगर्व से प्रसन्न होंगे या गुब्बारे से प्रसन्न होंगे या बालक की प्रसन्नता से प्रसन्न होंगे? इस प्रश्न के उत्तर को धन-से प्राप्त प्रसन्नता के बारे में लगाया जा सकता है। यहां यह भी ध्यान देने योग्य है कि माता-पिता गुब्बारे की सीमित जिन्दगी भी मान रहे हैं किन्त फिर भी प्रसन्न हैं।