Book Title: Sramana 1998 01
Author(s): Ashokkumar Singh, Shivprasad, Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi
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जैन जगत् गतिविधियों के बीच भी निर्बाध रूप से 'स्वतंत्रता संग्राम में जैनों का योगदान' विषय पर पिछले १० वर्षों से गम्भीर शोध कर रहे हैं। उनका यह प्रयास अनुकरणीय है। श्रीमती मनोरमा जैन को पी-एच० डी० की उपाधि
श्रीमती मनोरमा जैन को उनके शोध प्रबन्ध “सत्रहवीं शताब्दी के महाकवि राजमल्ल विरचित पंचाध्यायी- एक अध्ययन' पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा पी-एच० डी० की उपाधि प्रदान की गयी। श्रीमती जैन ने अपना यह शोध प्रबन्ध प्राच्य विद्या संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ० कमलेश कुमार जैन के निर्देशन में पूर्ण किया। इससे पूर्व श्रीमती जैन ने सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त कर स्वर्णपदक के साथ जैन दर्शनाचार्य की
उपाधि प्राप्त की थी। श्रीमती मनोरमा जैन पार्श्वनाथ विद्यापीठ के पूर्व शोध छात्र और वर्तमान में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के प्रोफेसर सुदर्शन लाल जैन की धर्मपत्नी हैं। श्रीमती जैन को इस सफलता पर पार्श्वनाथ विद्यापीठ परिवार की ओर से हार्दिक बधाई।
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जैन फ्रेण्ड्स, २०१, मुम्बई-पुणे मार्ग, चिंचवण पूर्व, पुणे ४११०१९ न्यायाचार्य डॉ० दरबारी लाल कोठिया श्री गोम्मटेश्वर विद्यापीठ
पुरस्कार से सम्मानित विश्वविख्यात जैनतीर्थ श्रवणबेलगोला में स्थापित श्री गोम्मटेश्वर विद्यापीठ की ओर से प्राचीन जैन वाङ्मय और जैन विद्याओं के सर्वश्रेष्ठ मनीषी को प्रति वर्ष समर्पित किया जाने वाला श्रीगोम्मटेश्वर विद्यापीठ पुरस्कार इस वर्ष डॉ० दरबारी लाल कोठिया को १९ अप्रैल १९९८ को बीना-मध्यप्रदेश में आयोजित एक समारोह में प्रदान किया गया। इस अवसर पर दि० २० अप्रैल को एक अखिल भारतीय विद्वत् संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया, जिसमें देश के प्रमुख दिगम्बर विद्वानों ने भाग लिया।