Book Title: Sramana 1998 01
Author(s): Ashokkumar Singh, Shivprasad, Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 78
________________ ७७ साहित्यिक और अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर निर्मित खरतरगच्छपिप्पलकशाखा के मुनिजनों की गुरु-शिष्य परम्परा की तालिका-१ वर्धमानसूरि जिनेश्वरसूरि (चौलुक्यनरेश दुर्लभराज की राजसभा * में वाद विजेता और खरतर उपाधि जिनचन्द्रसूरि से विभूषित) कर्चपरीयगच्छ के आचार्य जिनेश्वरसरि अभयदेवसूरि (जिनवल्लभसूरि के दीक्षागुरु) जिनवल्लभसूरि जिनदत्तसूरि मणिधारी जिनचन्द्रसूरि जिनपतिसूरि जिनेश्वरसूरि जिनप्रबोधसूरि जिनचन्द्रसूरि जिनकुशलसूरि जिनपद्मसूरि जिनलब्धिसूरि जिनचन्द्रसूरि जिनोदयसूरि जिनराजसूरि खरतरगच्छ की जिनभद्रसूरि (खरतरगच्द मुख्यशाखा) आज्ञासुन्दर (पिप्पलकशाखा के प्रवर्तक) जिनवर्धनसरि (वि०सं०१४६७-७८) प्रतिमालेख जयसागर जिनचन्द्रसूरि (प्रथम) (वि०सं० १४६९-८६) प्रतिमालेख जिनसिंहसूरि . जिनसागरसूरि (वि०सं०१४८९-१५२०) प्रतिमालेख भक्तिलाभ (विनिकृतियों के रचनाकार) धर्मचन्द्र जिनसुन्दरसूरि शुभशीलगणि (कर्पूरमंजरीसकटीका, सिन्दूर- (वि०सं० १५१५प्रकरटीका आदि के कर्ता) १५२५ प्रतिमालेख जिनसमुद्रसूरि जिनदेवसूरि (खतरगच्छ की आधपक्षीय शाखा के प्रवर्तक)

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