Book Title: Siddhantasaradisangrah
Author(s): Pannalal Soni
Publisher: M D Granthamala Samiti

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Page 328
________________ चूलिकाप्रकीर्णकप्रज्ञप्तिः। तच्चूलियासुभेया पंच वि तह जलगया हवे पढमा । जलथंभण जलगमणं वण्णादि विहिस्स भक्खं जं ॥१२॥ तलिकासु भेदाः पंचापि तथा जलगत्ता भवेत्प्रथमा । जलस्थंभनं जलगमनं वर्णयति वन्हे; भक्षणं यत् ।। वेसणसेवणर्मतंतंतंतवचरणपमुहविहिए। णहणदुगणवडणवणदुण्णि पयाणि अंककमे ॥२॥ प्रवेशनसेवनमंत्रतंत्रतपश्चरणप्रमुखविधिभेदान् । नभोनमोद्विक नवाटनबनभोद्विकानि पदानि अंकक्रमेण ॥ पयाणि २०९८९२००। जलगदचूलिया--जलगतचूलिका। मेरुकुलसेलभूमीपसुहेसु पवेससिग्धगमणादि-1 कारणमंतवंतंतवचरणणिरूवया रम्मा ॥३॥ मेलुलशैलभूमिप्रमुख्नेषु प्रवेशशीघ्रगमनादि। कारणमंत्रतंत्रतपश्चरणनिरूपिका रम्या ॥ तित्तियपयमेत्ता हु थलगयसण्णामचूलिया भणिया। मायागया च तेत्तियपयमेत्ता चूलिया णेया ॥४॥ तावत्पदमात्रा हि स्थलगतसन्नामचूलिका भणिता। मायागता च तावत्पदमात्र! चूलिका ज्ञेया ॥ मायारूचमहेंदजालचिकिरियादिकारणगणस्स । मंततवतंतयस्स य णिरूवग्ग कोदुयाकलिदा ॥५॥

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