Book Title: Shrungarmanjari
Author(s): Kanubhai V Sheth
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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१४२
जयवतसूरिकृत
सार्थबाह उवाचसजन सदा संभारयो, छेहलिउ अह्य जुहार, न जाणुं मिलसुं कहां, विसमुं विहि-व्यवहार रे. १९२८
देशी पाछिली इणि परि त्रणि जण परवरियां, पुहुता पुहुता सायर-तीरि रे, राय प्रति करीय जुहारडु, सारथपति अति वीर रे. १९२९ सारथपति अनइं कामिनी, बइठा प्रवहण मांहि रे, प्रहवण पूरियां परिवार सिउं, चालियां चालियां सायर मांहि रे. १९३० सुंदरि सारथवाह सिउँ, हुइ खटमास रत्त रे, प्रवहण पूरियां जाइ सावारि, सुणयो सुणयो हवइ हवी वात रे. १९३१ बंधव सारथवाहनु, नाम तिसिउं परिणाम, नामि सुकंठ सुकंठ छइ, गीत गुणई अभिरांम. १९३२ जांणइ ऊपजि रागनी, भाखा रतुनइं वान, तान मान लय मुर्छना, राग वणउ निधान. १९३३ प्रिय दूती प्रेमह तणी, सेनानी मयणांह, राग जयउ आनंदमय, जे मंडन वयणांह. १९३४ भमर छयल्लह मुह कमलि, गोरी मानस हंस. हैडा भावह पोषाणउ, किज्जह गीय प्रशंस. १९३५ दुखीयां दुख वीसारणा, केलीहर सुखीयांह, वाहलां विरहीय उल्हवण, बलि किजुउ गीयांह. १९३६ दुखीया दुख वीसारणलं, 'मन ठारवणउं मित्त, दुखीया संभार, गीय गति अह विचित्र. १९३७ राग न वसीया मुहि जस, गीइ भेदिया कन्न, वा पइसैवा विवर ए, एहवू' कहइ सुजन्न. १९३८ आघा दुख-पंजरि ठिय, अध हुउं चउभागि, कांइ नीसासे कांइ नयणले, कांइ दूहे कांइ रागि. १९३९ गाहा गीय सुमाणसिं, वेधिया झुरी मरति, घण पइठउ जिम अंबमां, सूकी झोणा हुंति. १९४० बाहलां विरह वीसारणउं, जु जगि राग न हुंति, तु शरणां विण सरह जिम, हैअडूं फाटि मरंति. १९४१ सायर मांहि वेरडी, भलिं सरजी किरतार, दुख-सायर संसारमां, कीघउ राग-आधार. १९४२
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