Book Title: Shrungarmanjari
Author(s): Kanubhai V Sheth
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 279
________________ २०४ जयवंतसूरिकृत प्रीऊ रमीउ, मे देशी ख. ढाल २३, राग धवल धन्यासी, मोरई आणई प्रीऊ रमीउ, मे देशी. ग. राग २३ धवल धन्यासी, मोरइ आंगणडइ प्रीउ रमीओ, से देशी. घ. राग धवल धन्यासी मोरइ आंगणडइ प्राउइ रमीउ, ओ देशी १२३९. ग. समरंती हसई ससनेहा रे; ख. वलइ जे ख.ग. म रहे जे रे अ. चाद; ख. चांद; ग. चा०; घ. चांदलिया १२४५. ग. संभरइ ग. मोरइं मनडे १२४१. ग. ओ तो कोयलि १२४३. ग. पासिं ग. माहारा १२४६. ग. लेखि न कहिजइ १२४७. ग. अतो किम नीगमसई १२४८. ख. विच्छोह ग. अतू तू मूतारसि मोह; ग. अतो तू मू तारसि मोह; घ. तु तंह म उतारसि मोहा रे १२४९. ग. ताहरि विरहईदिन जाईग. घडलीयुग जिम थाइ ग. मईन खमाई रे अ. राग सीघूउ गुडी, श्री सीमंधरि सामि, से देशी. ख. ढाल २४, राग सीधूउ गोडी, श्री सीमंधर सामि, ओ देशी. ग. ढाल २४, राग सींघुओ गोडी, श्री सीमंधरे सामि० अदेशी. घ. राग सीधूइ गोडी, श्री सीमंधर सामि, ओ देशी १२५१. ग रणझणई १२५२. ग. पंथीआ अ ग. रमई रे १२५४. ग. विसम्यो ग. रह्यो तेणई ठामि १२५५. नदीय न नीर १२५८. ग पसा १२५९. ख वीनविउ, ग. वीनविओ ख. अहवी न सती ग. विख दमि अ.ख.ग.घ. दूहा १२६९. अ.ख ग. नीठचर १२६२. अ.ख.ग.घ. मेह सज्जन १२६३. ख.ग. गुह-जल लेवाकर लेइ वीखरइ अ.ख.ग. सज्जन १२६७. ग.ख. दूरियतां १२६८. ग. काजे न आवई १२६९. ग. नीलां कज्जल सामलू ख. कधीयन विहारिउ दीठ १२७०. ग नरहिंणिं अ.ख.ग. दोय १२७१. घ. दु-मुह १२७२. ग. जेंन मंतरि १२७४. ग. दींसीता बोंहामणा १२७६ अ.ख.ग. विस-दमणि १२७७: अ.ख.ग. अज्जवि १२७९. क. सुद अ.ग. सदंसणि कन्हहीइ': ख. दस दंसणि कन्हहोइ; घ. रुद्ध सदमणि काहहीइ अ.ख. नमणिजा; ग. नपणिज्जा १२८०. प्रत 'ख'मां आ कडी नथी. १२८१. अ. गुण दोस १२८३. ग. पापि १२८४. अ. राग गुंड मल्हार, तु सेती मेरा मन लीणा, ओ देशी. ख. ढाल २५, राग गुड मल्हार, तुं सेती मेरा मन लीणा, ओ देशी. ग. ढाल २५, राग गुंड मल्हार, तुं सनी मेरा मन लीणा, ओ देशी. ध. राग गूड मल्हार, तुं सेथी मेरा मन लीणा, ओ देशी. १२८५. अ. दुपद ख. दूपद ग. दुपद घ. दू११८६. ग. विहंस्यु' ग. मांडई अ. बिहनि; ग. त्रिह नि ग, देखाइ १२८७. प्रत 'ख'मां आ कडी नथी. १२८८. ग. बोलई जून करई नवेरू अ.ख. छयल्ल घ. छयेल ग. अनेरूं १२९१. ख. परिच्छयल १२९३. अ.ख.ग. अमुनित जेहनां १२९४. ग. बोलाव्यां हसिनि बोलिं १२९६. घ. आपणपिं १२९७. अहीं प्रत अ.ख.ग घ.मां वधा. रानी गाथा नीचे प्रमाणे छे.. प्रत : अ. साहमानि जे दुखभां पाडइ, आपणपि नवि दुख देखाडइ. प्रत : ख. साहमांनि ने दुखमां पाइ, आपणपि नवि दुख देखाडइ. प्रत : ग. साहमांनि जे दुखमां पाडइ, आपणाई नवि दुख देखाइ'. प्रत : घ. साहमानि जे दुखमां पाडइ, आपणपि नवि दुख देखाइ. अ. वसिकरि ऊपाई; ग. करि ख ग. ऊपाई अ. आपि तेहनि ग. आपि १२९८. सहुनि वाहइ १३०२. ग. जिउ जेह स्यु मिल्या अख.घ. तुहि नतियु कुरंग १३०३. अ. जांण Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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