Book Title: Shrungarmanjari
Author(s): Kanubhai V Sheth
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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परिशिष्ट
३१. वा३ वहिडइ केतलू, सजल आसाढा-मेड (७१८111) ३२. सोनु करतां पाहाण-सिउ, अधिक वावइ बान (७१९३४) ३३. तीमन तांखां खट विण, भोजन भलू न होइ (७३९३४) ३४. पाइ कुसुमि पीडतां, अधिक होइ सुरत (७४७३1४) ३५. पापीडा क्षणि क्षणि दहइ, जिहां जाउ तिहां धाई (८९७३।४) ३६. जेहनइ जेसिउनेहडु, नेह विण तस मनि रांन (९२२]३1४) ३७. विरह-दवानल धीकीउ, वाघई वाइ जडत्ति (९३४३१४) ३८. जिम दल लागु वेडिमां, भोंतरि जरि मरेइ (९८३1३1४) ३९. तिल पीलई तां लगइ, जां लगइ दीसइ त्रेह (१०४१1३1४) ४०. दुध अगनि ऊकालइ. नीर बलतू जोइ (१०४२1३1४) ४१. जिम पगि भागु कांटकु, खिणि खिणि सालइ साल (१०५३।३।४) . ४२. जस हासू मनि उरतु, जउ मन दीजइ मुक्खु, (१०९६२४) ४३. कुण लहिसइ रानई रडिउ, हैंडा करि संतोष (१०६९/३५) १४. नट्ठ-सल्ल जिम पगि पगि खटकई, नवु-नेह तेणी परि खटका (11५१११) ४५. कुण जाणइ से दुखडा, वाडइ आंबा खद्ध (११६२1३1४) ४६. जो सोविन-कट्टारडी, तु सिउं पेटि मराइ (11६३1३/५) ५७. रानि रडिउ रे जीव, कुण लहिसइ कुण वरसेई (११६४३१४) ४८. जे जाणइ पर-वेदना, ते नर विरला कोइ (११९४३१) ४९. जलघर देखी गाजतु, रीसिं सर भमरंति (१२६१1३1४) ५०. बीज पडु ते दुरियडां, फेाकट वइर वहति (१२६७३11) ५१. मुरख न लहइ लोय, वारी थाइ अलखामणां (१३० ५२. जिहारइ जेहनई करि चडइ, तिहारइ तेहनां थाइ (१३111110) ५३. काना पाकइ कुंभि जिम, न मिलई कुहुनू चित्त (१३४२)।३।४) ५४. संगति तणउ पटतर, दारा प्रगट लहंति (१३६१५४) ५५. ऊछां साथइ बोलतां, जण जण दीइ कलंक (१३६३३४) ५६. जण हासू मनि उरतु, निरवाहू आन हुति (११६४1३11) ५७. ताली न पडइ अंक हाथि, लोक ऊखाणउ जोइ (१४१२३४) ५८. कुण लहिसई से दुखडां, जे तू रोइ रानि (१४२३1३५) ५९. वाडी पहुरु पाडता, सूकु करइ बिखास (१४५४३५) ६०. काज करेवी आपणउ, कीजइ कोडि प्रकार (30७१ ) ६१. काज करेवी भापणउ, कीजइ कोडि प्रकार (१४७१1३१४) ६२. भाति पडी पटुलडइ, किमहि न जुई थाइ (१४७०३७) ६३. डाठ गलावइ दूरिथा, जिम चंची फल-पक्क (१५४५३४) ६४. पाणी मांहइ न नांखीइ, सेना केरी भल्लि (१५९८२) ६५. त्राटी न खमइ पीटणी, धसी पडइ समूल (१५९९३५) ६६. गयवर केरु, भार भर, खरि नव हिणउ जाइ (१६.०1१२)
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