Book Title: Shrungarmanjari
Author(s): Kanubhai V Sheth
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 283
________________ २०८ जयवंतसूरिकृत १५५८. क. सध्धि. १५५९. अ कंचुं-कसण; १५६० अ. सास सरीरि. १५६२. ग. कटी, १५६४. अ ग. गोट. घ. गमयंती. १५.३. ख गहिबरि. १५७४. अ. पीर; ग. अणदीठई. १५७५. अणदीठानो ओरता. १५७६. ग. अहनि मनि स्यो. १५७८. घ. मोहणिवेलि. १५७९. ख ग. अद्भूत. घ पुरुष भरत. १४८०. क. हरु, १५८२. ग. मयण जणावई १५८३. ख ग वयण. १५८४. ग वांको. १५८६. उफराटो. १५८७. ग. सुरिज. ग. नीराग. १५८८. अख.ग. ससनेहानां. १५८९. आ कडी प्रत 'घ'मां नथी. १५९० आ कडो प्रत 'अ' अने 'ग'मां नयी १५९१. ग. हसइ १५९२. ग. हरख्यो चित्त. १५९३. ख. निरवांणी; ग निरवांणि. ग. अणजाणु. अ. सहांणि; १५९५. ख. वेधि; ग. वेधे; घ. वेधि. अख.ग दैवि. १५९७. ग. कहीई तेहनई १५९८. ख. भल्लि. ग. झल्ल. १५९९. ख.ग. सासहु. ग. ओच्छ नई. १६००. घ आप्पिउ. १६०१. अ. छयल. ग. साहमो देखई. अख. गेहजु; १६०३. ग. भमरलो. ४क जगदीस १६०५. क. काजि. १६०६ अ.ख.क. निदांनि ग. कुहुनइ कोइ प्रमाण. १६११.ग. तोरई नामें.अ. गज ति; १६१२. ग. दवि १६१३. ग. कर. १६१४. ग. सुजाति. ग. गमई. ग. ताहरु. १६१५. क. ध्यानि. १६१६. ग. नेहडो. १६१७. अ.ग. नंयणले. के. मुज्झि. १६१८. क. हथियारि. १६१९ अ. ऊरिलगइ सेो जीइ; ग ऊरि लगई. १६२०. अ.ग. अकै ज तुं. अ.ग. रूहाडि. १६२२. क. छडइ. १६२३. ग. दहइं. १६२४. ग. बीय सरि संजुत्त ग. ते जाणइ मुझ चिंत्त. १६२६. ग. माणस. १६२७. क. मुझ विरहेण. १६२८. ग. उरि लगा. ग. हरई. १६२९. अ.ख. नुहरा.; १६३०. ग. विरहिताहरई. ग. माच्छिली. १६३२. अ. जवासे सींचतां. क. जखर. १६३३. ग. तनु अवटाई नित्त १६३४. अ.ख. जांगि; १६३५. ग. आलालु वु. अ.ख.ग. लक्ष-वार. १६३६ ग. वलि वच्छनाग अफिग. अ.ख. जु नुहि; ग. वलि ह मर. १६३७. क. जपांबसि. १६३८. ग. ताहरइ वेघडइ. ग. निर-दीस. १६३९. अ. अंहनी वैद्य ज तुह जिछई, ख. अनही वैद्य ज तुह जि छई; ग [अना वैद्य-ग. पाठान्तर] १६४०. प्रत 'अ'मां आ कडी नथी. ग. तझ विरहाली-आंगलां १६४१ ख. उपडई, ग. ऊपजई . ग. कह्यां. ख.ग. पाखई ग. रहिवाई. १६४२. ख पडसिई कलिके; ग. पडसिं कालिके. १६४३. ग. वाहई हत्थडो; १६४४. घ. वा हत्थडु. १६४५. ग. लाहो तोहि न लई. १६४६. ग. जवारडो. ख.ग. उपगारि होय १६४७. अ.ख.ग. सुओ रंम. १६४८. अ. पांमइ; ग. पामेय. घ सकति लाहु लेय. १६४९. आ कही प्रत 'क'मां नथी. ग्रंथपाठमां प्रत 'अ'मांथी रजू करी छे. ख.ग. दांन दीइ. ग. सोय. ख.ग.घ. तणी. ख.ग. कोय. १६५०. अ.ख.ग. संभारसि. १६५१. ख. अलबि; ग. अलबई दिई मुझ. १६५२. अ. संचीयइ; ग. संचीज; अ-ख ग. वाधि; अ.ख.ग. बावरि; १६५३. ग. पाय. ग. माग्यो आपि न तन्न. १६५४. अ.ख. चवियां ग. चव्यां. ख. जु ते कह; ग. जो ते कहु. ग. तो ते ते आपई. १६५५. अ.ख. फलसि केणि उपाधि; १६५६. ग. लाघो. ग. करस्यु.१६५७. ग हूँ मागु तुझ कन्हि. १६६०. क. काज. १६६३. नांध.-प्रत 'क'नी कडी १६६३ थी १६६७मां पंक्तिओ अव्यवस्थित छे. ते ग्रोथ पाठमां प्रत 'ख'नी सहायथी व्यवस्थित करी छे. क. लाई-भेय. १६६४ नांध.-प्रउ 'क'मां पंक्ति ३ अने ४ आ प्रमाणे नथी ते प्रत 'ख'माथी रजू करी छे. ख रच्चति १६६५. नांध.-प्रत 'क'मां पंक्ति १ अने २ नथी ते प्रत 'ख'मांथी अत्र रजू करी छे. ख.ग. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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