Book Title: Shrungarmanjari
Author(s): Kanubhai V Sheth
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 242
________________ भंगारमजरी १६७: निरमल नयणां मधुर-वच, सजन कथा अनुराग, संभ्रम-दर्शन मुख-प्रशन, रत्तां चिहूनह माग. २२७२ उजलप सरलारे स्तडां३, वंका नयणां भेय, मित्र' पुत्र अरि कामिनी संगति लहीइ तेह. २२७३ प्रिय-दसण महिमा नवु, अवर न दंसणि तेह, दिठे नाव संजोय विण, निच्चुइ होइ सदे।हे. २२७४ वरि सहीइ दुख दोहिलु, वाहालां तणइ संयोगि, पय उभरातुं तव रहइ, जव पामइ जल-योग. २२७५ सही जे अविनासी वसइ, जाइसर नयणांइ, कुरमाइ अरी मिलई, विहसइ देखी पीयाइ. २२७६ बोल न बोलइ मीठडा, न देइ दान न मान, तुहइ माणस केतलां, दीठां अमृत समान. २२७७ मनडां डूंगर भूहडो, बाली प्रोउ-विरहेण, पल्लवीइ सुख-वेलडो, मिलीइ सुजन नेहेण. २२७८ साल ठवी सजन गया, जां लगइ ते न मिलंति. तां लगइ मननु उरतु, नवि भागइ जीवंत. २२७९ सज्जन दीठइ आपणइ, है; हरखि भराइ, विहसइ विहांणइ कमल जिम, ऊलट अंगि न माइ. २२८० मेह भरइ सर ऊलटूइ, सायर पूनिम-चंदि, सजन दीठे आपणे तिम, ऊलटइ आणंद. २२८१ देखवि सज्जन आपणा, अति रोमचंइ काइ, जाणे अंगि अमायतु, उलट बाहिरि थाइ. २२८२ ढोल वजावि न रे हैया, तुज चिंतित्त फलायांइ, निसि-दिन जेहनइ समरतां, अलविते मिलीयांइ. २२८३ छानू मिलतू जेहसिउ, हैडू रयण मझारि, ते वाहलां परगट मिलियां, नयणां तुज बलिहारि. २२८४ निस-दिन उभा सेरीइं, जेहनी जोतां वाट, ते सज्जन सहिजइ मिलियां, हैया उघाडि हाट. २२८५ वाहालां विरहई दुख हवू', तुहइ वाहलां साथ, भुइ पडियां पणि ऊठीइ, भूइ देइ हाथ. २२८६ बहुत कालि सज्जन मिलियां, हवउ हूँछोडूं किम्म, कंठि बिलग्गी तिम रहू', इसर-गलि अहि जिम्म २२८७ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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