Book Title: Shrungarmanjari
Author(s): Kanubhai V Sheth
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 276
________________ शंगारमंजरी २०१ कोलीइ ९५३. ग, मिलइ ९५४. ग, बापीडो ९५५. अख. सुर-तर ग. सुर- नर तणइ'; घ. सुतर ९५७. ग. मांछिली १५५. ग. तेणइ स्य काज ५५९. प्रत 'अ'मां आ कडी नथी ख. नेह विछोह्या ग. नेह विछोह्या ग. विछोह्यां ९६०. अ. जुन भंजाई, ग. न जो भोजाई अ.. सहाय ९६२. ग. पांहिं अ.ग. दुदर, ग. डुदर ख. भणां, ग. भलां अ. प्रांण अ. त्यजयंति ग. तजाति अ.ख.ग सनेहां माणसां अ. मरणा ख.ग. मरणा ९६३. ख. तेहवो ग. लगाडीइ अ. जाहि; ग. जांह अ. बप्पीह नि; ग बप्पीहनिं ग. जाइ ९६४. अ.ख ग पांखडी ग. सो लइ अ. अलजु भांजु मन तणु; ग. अलजो भांजो थत तणो. ९६५. ख.ख लै चंदा चतुर तु ग. संदेशो ९६६. ग. समाणा अ.ग. सूनु ९६७. अ.ख. ग. तेह ९६८. अ.ख.ग. भिलये ९६९. ख. कोले म करयो ९७०. ग. कहीइ आवसइ ग.' विच्छाहीं ९७१. ग. ओरतो ९७२. ग सज्जन नइ सुहुणइ ९७३. ग. विरहइन आवई ग पहइलो नींद्र वियोगि ९७४. अ. सुहणइ; ग. सुहणई मिलं ग. नाविं नींद्र ९७५: ग. ग. दोइ ९७६. ग. विरहइ ख ग. कसरारिय नयणेहिं ९७९. अ. जिजइ ९८०. घ. तस तनइ ग. दिन दिन ९८१. आ गाथा प्रत 'अ'मां नथी. ग. छांटो नयन-जलेहिं ग. तोहिं सहइ क.घ. पथरिय दिन दिन पंडुरे-देय. ९८२. वडनाल ९८४. ग. विराहानलिं अ. मुहि धूयां ग. आंसूडे ९८५. ख ग. अकंति अ. हैहूं'; ग. हेजि हसति ९८६. ग. कनाईणे अ. केडि ऊजाय; ९८८. ग. सुनो भमइ ९९३. ग. मुच्छा ग. दहइ ९९४. ग. चितिं अ. रतिइ; ग. रक्खुइ ९९५. ग. भमीय ९९६. ग. मिलई ९९७. अ. हाथि विजनि; ख.ग विझवनि ९९८. अ ग. सुहाय ९९९. ग. कहइ अ. तेहनी १०००. ग. दोहिला नीडई १००२ ग. गुणकीर्तिना ३, उद्वेग ४, अ. अताःस्मरदशाप्रोक्त: अतअव; ग. अताः स्मरदशा प्रोक्ता: अ. अत अव पृथग व्याख्याता; ग. अत अवद्द पृथग् व्याख्याता; घ. अत अव ६ पृथगू व्याव्याता छ; १००३. ग. दहैं वली देहिअ घ. चंदहइ वली देहि १००४. ग. दहे. मयंक १००५. अ. तु सिडं करई १००६. अ.ग. ससि-मुखि ग. मुज; ग. मुज साथिं. ख.ग. केरई; ग. आधार १००७. अ. विरहि पडियां अ. विरहिं पडया सुख सोधीई [भुआ पछई वयर साधीई; ख पाठान्तर] ग. विरह पडयां दुख शोधीइ १००८. ग. तां ससिनई झंपेइ ग. आवई मोरो वल्लहो. ख.ग. सहिस करेइ १०१०. ग. कहेओ १०११. अ.ख.घ. तीह हुइ: ग. तोह हई १०१३. अ. कहनि; ग. कहो विमांसि ग. पगि पगि वाधि १०१४. अ. उत्तर ग. उत्तर [आ बे कडी प्रत अख.ग.मां छे. प्रत क मां नथी, अीं प्रत अ नो पाठ स्वीकार्यो छे.] ग पगि पगि वांधइ ख.ग. मांसि १०१५. ख.ग. खिणि खिणि खटकई तेहीइ १०१६. अ.ख. जे० स० ग. संभारता ग. सूकुं सालई साल १०१७. ग. वरसा सो समी १०१९... अ.ख. जेह० लोहार १०२०. ग. सोद वींधी मेलई १०२१. (प्रत 'क'मां ३ अने ४ पंक्ति अन्यथा छे. ग्रंथपाठमां प्रत 'अ'नो पाठा स्वीकार्या छे.) अ.ख. भाव ग तोहइ न जाइ सभाव १०२२. (प्रत 'क'मां पंक्ति १ अने २ नथी. अहीं प्रत 'अ'मांथी ते लीधी छे. १०२३. अ.ग. सज्जन क.ख. पाप १०२४. अ.ख. कलिमलु; ग. कलिमलो १०५५. ग. ऊफराटा.. अ.ग. जोय १०२६. अ. सालि; ग. सालई १०२७. ग. तनमई १०२८. ख तु परवेसि किम रह्माः १०३०. अख. जे पहिलू करिउ सनेह १०३२. अख. बाउल-कंट ख.ग. २६ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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