Book Title: Shraman Sanskruti Siddhant aur Sadhna
Author(s): Kalakumar
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

Previous | Next

Page 7
________________ इससे विघटनकारी शक्तियों का दमन हुआ और एकता को भावना को बल प्राप्त हुआ। प्रस्तुत ग्रंथ के संपादक श्री कलाकुमार ने भारतीय संस्कृति के व्यापक रूप को सामने रखने का प्रयास किया है। श्रमण-विचारधारा के सिद्धान्त और साधना पक्ष के स्वरूप को ग्रंथ के विभिन्न अध्यायों में स्पष्ट किया गया है। भारतीय संस्कृति के निर्माण में श्रमण संस्कृति का जो योगदान रहा है, उसको विशद एवं सारगभित विवेचना इस ग्रंथ में मिलेगी। कृष्णदत्त बाजपेयी प्राचार्य तथा अध्यक्ष, प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति तथा पुरातत्त्व विभाग, सागर विश्वविद्यालय, सागर (म. प्र.) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 238