Book Title: Shatkhandagama Pustak 06
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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१६० ]
छक्खंडागमे जीवद्वाणं
[१, ९-६, ११.
कुदो ? अदीव अप्पसत्यत्तादो | एत्थ गुणहाणिपणाणं णाणावरणीयगुणहाणिसमाणं, जहाणायं भज्ज-भागहारवड्डीणमुवलंभादो | णाणागुणहाणिमलागा पुण पलिदो - वमवग्गसलागछेदणेणूणपलिदोवमद्धछेदणयमेत्ता । एदाओ णाणागुणहाणि सलागाओ सिद्धाओ काढूण एदाहिंतो सव्वकम्माणं णाणागुणहाणिसलागाओ तेरासियकमेण उप्पादेदव्वाओ ।
सत्तवाससहस्सा णि आबाधा ॥ ११ ॥
सत्तवाससहस्सेहि मिच्छत्तुक्कस्सट्ठिदिम्हि भागे हिदे आबाधाकंडयमागच्छदि । एदं च सव्वकम्माणं सरिसं, जहाणायं भज्ज-भागहाराणं वड्डि-हाणिदंसणादो |
क्योंकि, यह मिथ्यात्वकर्म अत्यन्त अप्रशस्त है । यहापर गुणहानिका प्रमाण ज्ञानावरणीयकर्मकी गुणहानिके समान ही है, क्योंकि, भाज्य और भागहार दोनोंमें अनुरूप वृद्धि पायी जाती है । केवल नानागुणहानिशलाकाएं पल्योपमकी वर्गशलाकाओंके अर्धच्छेदोंसे कम पल्योपमके अर्धच्छेद प्रमाण होती हैं । इन नानागुणहानिशलाकाओंको सिद्ध मानकर इनके द्वारा सर्व कर्मोंकी नाना गुणहानिशलाकाएं त्रैराशिकक्रमसे उत्पन्न कर लेना चाहिए |
उदाहरण - मान लो पल्योपम = ६५५३६. अतएव पल्योपमकी वर्गशलाका = ४; पल्योपमके अर्धच्छेद = १६; पल्योपमकी वर्गशलाकाओंके अर्धच्छेद = २. अतः मिथ्यात्वकर्मकी नानागुणहानिशलाकाओंका प्रमाण होगा - १६ - २ = १४.
इस प्रमाणको लेकर अन्य कर्मोंकी नानागुणहानिशलाकाएं त्रैराशिकक्रमसे इस प्रकार निकाली जा सकती हैं
७० को. को. सा. स्थितिवाले मिथ्यात्वकर्मकी नानागुणहानिशलाकाएं १४ होती हैं, तो ३० को. को. सा. स्थितिवाले ज्ञानावरणीयकर्मकी नानागुणहानिशलाकाएं कितनी होंगी
३०x१४
= ६.
७०
उसी प्रकार १५ को. को. सा. स्थितिवाले सातावेदनीय आदि कर्मोंकी नानागुण१५ x १४ = ३, तथा ४० को. को. सा. स्थितिवाले कषायांकी
७०
हानि-वर्गशलाकाएं
४० x १४
७०
= ८ होंगी । इत्यादि.
मिध्यात्वकर्मके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका आबाधाकाल सात हजार वर्ष है ॥ ११ ॥ सात हजार वर्षोंसे मिथ्यात्व कर्मकी उत्कृष्ट स्थितिमें भाग देनेपर आबाधाaisher प्रमाण आता है । यह आबाधाकांडक सर्व कर्मोंका सदृश है, क्योंकि, भाज्य और भागहारोंके यथान्याय अर्थात् अनुरूप वृद्धि और हानि देखी जाती है ।
१ प्रतिषु ' सरीर ' इति पाठः ।
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