Book Title: Savruttik Aagam Sootraani 1 Part 22 Chandrapragyapti Mool evam Vrutti
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Vardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana

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Page 533
________________ आगम (१७) "चन्द्रप्रज्ञप्ति” – उपांगसूत्र-६ (मूलं+वृत्तिः ) प्राभृत [१८], -------------------- प्राभृतप्राभृत -], -------------------- मूलं [८९-९३] + गाथा पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: सूर्यप्रज्ञप्ति आधारेण मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[१७],उपांगसूत्र-[६] "चन्द्रप्रज्ञप्ति मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [८९-९३] गाथा सूर्यप्रज्ञ- चंदे' इति एगे पुण एबमासु ता वारस जोयणसहस्साई सूरे उहुं उच्चत्तेणं अद्धतरसमाई चंदे एगे पुण एवमासु मिवृत्तिः४१२, 'तेरस सूरे अद्धचउसमाई चंदे' इति, एगे पुण एवमासु ता तेरस जोयणसहस्साई सूरे उहं उच्चत्तेणं अद्ध-18 चन्द्रादेरु(मल चोइसमाई चंदे एगे एबमाइंसु १३, 'चोइस सूरे अपंचदसमाई चंदे' इति एगे पुण एवमाइंसदा चोदस जोय- चत्वं तारक ॥२६॥ सहस्साई सूरे उ९ उच्चत्तेणं अपंचदसमाई चंदे एगे एवमाइंसु १४, पनरस सूरे अद्धसोलसमाई चंदे' इति एगे पाणुतादि पुण एवमाहंसु ता पण्णरस जोयणसहस्साई सूरे उहुं उच्चत्तेणं अद्धसोलसमाई चंदे एगे एवमासु १५, 'सोलस सूरे | परिवारः अबससरसाई चंदे' इति एगे पुण एवमासु ता सोलस जोयणसहस्साई सूरे उहुं उच्चत्तेण भवसत्तरसमाई चंदे एगे। भ्यन्तरचाएवमासु १६, 'सत्तरस सूरे अदद्वारसमाई चंदे' इति एगे पुण एवमाइंसु ता सत्तरस जोषणसहस्साई सूरे रही | उग्रतेणं अजहारसमाई चंदे एगे एवमासु १७, 'अट्ठारस सूरे अद्धएगणवीसमाई चंद्दे' इति एगे पुण एवमाहंसा P८९-९३ लाता अवारस जोयणसहस्साई सूरे उहूं उच्चत्तेणं अद्धएगूणवीसमाई चंदे एगे एवमाइंसु १८ 'एगूणवीस सूरे अद्भवी-| समाई चंदे' इति एगे पुण एवमासु ता एगूणवीसं जोयणसहस्साई सूरे उहुं उच्चत्तेणं अद्भवीसमाई चंदे एगे एवमाहंसु |१९, 'बीस सूरे अद्धएकवीसमाई चंदे' इति एगे पुण एवमासु ता वीस जोयणसहस्साई सूरे उई उश्चत्तेणं अद्धएक|वीसमाई चंदे एगे एबमाईसु २०, 'एकवीसं सूरे अदयावीसमाई चंदे' इति एगे पुण एवमासु वा इकवीसं जोपराणसहस्साई सूर उहं उच्चत्तेणं अद्धबावीसमाई चंदे एगे एबमाईसु २१, 'बावीसं सूरे अडतेवीसा चं ति ॥२६०॥ पुण एबमाइंसु ता बाबी जोयणसहस्साई सूरे उहूं उच्चनेणं अद्भतेवीसमाई हे एगे एवमासु २२ 'तेवीसं सूरे| 3. रा:सू दीप अनुक्रम [१२१-१२६]] ~533~

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