Book Title: Savruttik Aagam Sootraani 1 Part 22 Chandrapragyapti Mool evam Vrutti
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Vardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
View full book text
________________
आगम
(१७)
"चन्द्रप्रज्ञप्ति” – उपांगसूत्र-६ (मूलं+वृत्तिः ) प्राभृत [१९], -------------------- प्राभृतप्राभृत , -------------------- मूलं [१००] + गाथा: पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: सूर्यप्रज्ञप्ति आधारेण मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[१७],उपांगसूत्र-[६] "चन्द्रप्रज्ञप्ति मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति:
प्रत
सूत्रांक
[१००]
-
गाथा:
-
किण्हं राहुविमाणं णिचं चंदेण होइ अधिरहितं । चतुरंगुलमसंपत्तं हिचा चंदस्स तं चरति ॥ २५ ॥ पावहिर २ दिवसे २ तु सुकपक्खस्स । जं परिवहति चंदो खवेइ तं चेव कालेणं ॥ २६ ॥ पण्णरसहभागेण य चंद। |पण्णरसमेव तं वरति । पण्णरसतिभागेण य पुणोवि तं चेव वक्कमति ॥ २७॥ एवं वहति चंदो परिहाणी दाएव होइ चंदस्स । कालो वा जुल्हो वा एवऽणुभावेण चंदस्स ॥ २८ ॥ अंतो मणुस्सखेत्ते हवंति चारो-18
वगा तु उपवण्णा । पंचविहा जोतिसिया चंदा सूरा गहगणा य॥२९॥ तेण परंजे सेसा चंदादिचगहतारण-18 लक्खत्ता । णस्थि गती णवि चारो अवविता ते मुणेयथा ॥ ३० ॥ एवं जंबुद्दीये दुगुणा लवणे चगुणा इंति।
लावणगा य तिगुणिता ससिसूरा धायइसंडे ॥ ३१ ॥ दो चंदा इह दीचे चत्तारि य सायरे लवणतोए।
धायइसंडे दीवे बारस चंदा य सूरा य ॥ ३२ ॥ धातइसंडप्पभितिसु उद्दिट्टा तिगुणिता भवे चंदा । आदिमल्लचंदसहिता अर्णतराणंतरे खेले ।। ३३ ॥ रिक्खग्गहतारग्गं दीवसमुद्दे जहिच्छसी गाउं । तस्ससीहि
तग्गुणितं रिक्खग्गहतारगग्गं तु ॥ ३४॥ वहिता तु माणुसनगरस चंदसूराणऽयद्विता जोण्हा। चंदा अभीपी-18 जुत्ता सूरा पुण हुंति पुस्सेहिं ॥ ३५ ॥ चंदातो सूरस्स य सूरा चंदस्स अंतरं होइ । पण्णाससहस्साई तु जोयणाणं अणूणाई ॥ ३३ ॥ सूरस्स य २ ससिणो २ य अंतरं होइ । बाहिं तु माणुसनगस्स जोयणाणं सत
सहस्सं ॥ ३७॥ सरंतरिया चंदा चंदतरिया य दिषयरा दित्ता। चित्तरलेसागा सहलेसा मंदलेसा या IN॥ ३८ ॥ अट्टासीतिं च गहा अट्ठावीसं च हुंति नक्खत्ता । एगससीपरिवारो एत्तो ताराण योच्छामि ॥ ३९॥
दीप अनुक्रम [१३३
*%%%265
-१९६]
~568~

Page Navigation
1 ... 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614