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सत्यामृत ( सत्याभ)
मानव-धर्मशास्त्र (मानधर्मीन) दृष्टिकांड (लंकोकंडो)
पहिला अध्याय सत्यदृष्टि ( सत्यलंको)
मङ्गलाचरण (नम्मो)
पैगाम मिला बन्धन टूटे। गीत १
मदमोह भरे रिश्ते छूटे॥ मेरी भापा तेरे विचार।
इस जीवन में ही पुनर्जन्म देकरमैं तो हूँ वेरा दूतमात्र तू ही देता है धर्मसार।
तूने निजधाम दिया। मेरी भाषा तेरे विचार ॥१॥
तूने मुमको पैगाम दिया ॥२॥ जब सत्यमति पाई मैंने।
तूने अनुपम कारणा करके।
मेरी निर्वलताएँ हरके ॥ तेरी महिमा गाई मैंने । मेरे छोटे से जीवन के मकार उठे तब तार तार।
। यह जीवन सफल बनानेको
जीवनभरका यह काम दिया। ___मेरी भापा तेरे विचार ॥२॥
तूने मुझको पैगाम दिया ॥३॥ झंकार गगन में घूमगई।
तेरे चरणो को चूमगई ॥ तवशद ब्रह्मासी हो पवित्र फिरकर आई मेरे अगार। कौन तू वेरा कौन निशान ।
मेरी भाषा तेरे विचार ॥३॥ तुझे समझने में हारे सब वैज्ञानिक विद्वान। झंकार न थी सत्यामृत था।
कौन तू तेरा कौन निशान ॥ १ ॥ जगको तेरा चरणामृत था। ईश्वरवादी का ईश्वर तू ब्रह्मा विष्णु महेश । सत्यामृत कहकर वाटरहातेरावह चरणामृत अपार सर्वश्वर अल्लाह खुदा प्रभु बहुमन अखिलेश ।। मेरी भाषा तेरे विचार ॥४॥ गाड यहोवा जगत्पिता तू रख रहीम रहमान ।
कौन तू तेरा कौन निशान ॥२॥ गीत २
परम निरीश्वरवादी का तू महाकाल गुणधाम । सूने मुझको पैगाम दिया। नेचर प्रकृति पगत्पर अक्षर परब्रह्म निष्काम ।। अपनी भाषामें गूथ उसे मैंने सत्यामृत नाम दिया। परंज्योति त महाबोधि त चिन्मय अन्तर्बान ।
तूने मुझको पैगाम दिया॥१॥ कौन तू तेरा कौन निशान ॥३॥
गीत३