Book Title: Santoka Vachnamrut
Author(s): Rangnath Ramchandra Diwakar
Publisher: Sasta Sahitya Mandal

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Page 6
________________ : 19: परम पावनी गंगाको गंगाजलीमें भरकर ले जाते हैं दक्षिण रामेश्वर अभिषेकके लिए। उससे रामेश्वरके रामलिंगका अभिषेक करके घेतुपकटी... जल, जहां पूर्व, पश्चिम तथा दक्षिरणके समुद्रोंका त्रिवेणी संगम है, हैं काशी विश्वनाथके अभिषेकके लिए; तभी यात्रा सांग और पूर्ण होती है । कभी-कभी दादा काशीकी गंगाको गंगाजलीमें जाकर घरमें रखता है और पोता उससे रामलिंगका अभिषेक करता हुआ धनुषकोटीका तीर्थ काशी-विश्वनाथके अभिषेकके लिए ले आता है । मेरे अन्य कन्नड़ बंधुत्रोंने हिन्दी साहित्य -- वाहिनीके गंगाजलसे कन्नड़ जनता जनार्दनका खूब अभिषेक किया है । कन्नड़भाषामें 'विश्व साहित्य में स्थानमान पाने जैसे एकसे अधिक' रामायण होनेपर भी श्री तुलसीदासके मानसका कन्नड़ अनुवाद किया गया है । यह अनुवादः ‘कन्नड़की प्रकृतिके अनुकूल' सुन्दरतम षट्पदि छंदमें नहीं, किंतु 'हिंदीके दोहे और चौपाइयोंमें' किया गया है । इससे हमारी कन्नड़की प्रकृतिको कोई हानि नहीं पहुंची । इसीसे प्रेरणा लेकर मैं हिंदी भाषाभाषी मानव- महादेव के लिए कन्नड़- कूड़ल-संगम (कृष्ण और मलापहारीके संगम) की यह छोटी-सी गंगाजली ले श्राया था । इसीको ग्राज मानव - महादेव के अभिषेकके लिए उनके चरणों में रखा जा रहा है । वस्तुतः यह कोई इतिहासकी पुस्तक नहीं है, किंतु इसमें कुछ ऐतिहासिक तथ्य हैं और वे इतिहासके गण्य-मान्य विद्वानोंके मन्तव्यके अनुकूल नहीं हैं । अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कुछ विद्वानोंकी मान्यता है कि "श्री बसवेश्वरने मुस्लिम धर्मसे प्रेरणा लेकर वीरशैव धर्म की स्थापनाकी है," जो सत्य से कोसों दूर है | श्री वसवेश्वर न वीरशैव मतके संस्थापक हैं और न उन्होंने मुस्लिम धर्मसे प्रेरणा ली है । ये अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विद्वान् अंग्रेजीमें अनुवादित यहां-वहांके कुछ वचनोंका उदाहरण देकर, उसकी कुरानके कुछ वचनोंसे तुलना करनेकी सिफारिश करते हुए निर्णय देते हैं, "उन्होंने जाति-पांतिका विरोध करनेमें इस्लामसे प्रेरणा ली, उन्होंने एकेश्वरी तत्वज्ञानके समर्थनमें इस्लामसे प्रेरणा ली । " आदि । किन्तु वे यदि यहां-वहांके अनुवादित वचनों पर निर्भर न रह-कर मूल वचनोंका अध्ययन करते तो श्री वसवेश्वर तथा वीरशैव मतके आचार्योंकी प्रेरणाके मूल स्रोतको पा लेते । सन्तोंकी इस प्रेरणाका मूल स्रोत जाननेके लिए श्री बसवेश्वरके एक-दो वचन देनेका मोह संवरण नहीं होता । वचन-शास्त्र-सारसे - . " संकल्प विकल्प उदयास्तमान से दूर शिव शरण अकुलज कहते हैं, येः "

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