Book Title: Sanskrit Bhasha Ke Adhunik Jain Granthkar
Author(s): Devardhi Jain
Publisher: Chaukhambha Prakashan

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Page 15
________________ दिगंबर परंपरा दिगंबर परंपरा की मान्यता है कि मूल आगमों का विच्छेद हो चुका है, अतः आगम संबंधी साहित्य दिगंबर परम्परा में उपलब्ध नहीं हैं। स्थानकवासी परंपरा १. श्री घासीलालजी म. १. आचारांग टीका ३. स्थानांग टीका ५. व्याख्याप्रज्ञप्ति टीका ७. उपासकदशा टीका ९. अनुत्तरौपपातिक टीका ११. विपाकसूत्र टीका १३. राजप्रश्नीय टीका १५. प्रज्ञापना टीका १७. चन्द्रप्रज्ञप्ति टीका १९. निरयावलिका टीका २१. पुष्पिका टीका २३. वृष्णिदशांग टीका २५. दशवैकालिक टीका १७. अनुयोगद्वार टीका २९. बृहत्-कल्प टीका ३१. दशाश्रुतस्कंध टीक २. श्री हस्तीमलजी म. संस्कृत भाषा के आधुनिक जैन ग्रंथकार : १३ १. श्री महाप्रज्ञजी म. २२. सूत्रकृतांग टीका ४. समवायांग टीका ६. ज्ञाताधर्मकथा टीका ८. अन्तकृद्दशा टीका १०. प्रश्नव्याकरण टीका १२. औपपातिक टीका १४. जीवाजीवाभिगम टीका १६. सूर्यप्रज्ञप्ति टीका १८. जंबूद्वीप्रज्ञप्ति टीका २०. कल्पावतंसिका टीका २२. पुष्पचूलिका टीका २४. उत्तराध्ययन टीका २६. नंदीसूत्र टीका २८.. निशीथसूत्र टीका ३०. व्यवहारसूत्र टीका ३२. आवश्यकसूत्र टीका बृहत्-कल्पसूत्र टीका तेरापंथी परंपरा श्री आचारांगसूत्रभाष्यम् (प्राकृत)

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