Book Title: Sanskrit Bhasha Ke Adhunik Jain Granthkar
Author(s): Devardhi Jain
Publisher: Chaukhambha Prakashan

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Page 54
________________ ५२ : संस्कृत भाषा के आधुनिक जैन ग्रंथकार ११. श्री कीर्तित्रयी हास्यमेव विजयते १२. श्री हेमचंद्रसूरिजी म. --समतासागरचरितम् . १३. श्री प्रशमनिधिश्रीजी म....... १. महोदयचरितम् (अनुवाद) २. हेमभूषणचरितम् (अनुवाद) - दिगंबर परंपरा १. श्री कुंथुसागरजी म. शांतिसागरचरित्रम् २. भुजबली शास्त्री भुजबलीचरितम् स्थानकवासी परंपरा ...... .. १. श्री घासीलालजी म... लक्ष्मीधरचरित्रम् .... तेरापंथी परंपरा १. श्री तुलसी जी म. कथाकोषः २. श्री महाप्रज्ञजी म. १. कथाव्यूहः २. रत्नपालचरितम् । ३. श्री पुष्पराजजी म. कथानिकुंज ४. श्री बुद्धमलजी म. १. कथापेटकम् २. अत्तकहा (प्राकृत) ५. श्री चंदनमलजी म.. १. रयणवालकहा (प्राकृत) २. जयचरिअं (प्राकृत) ६. श्री विमलकुमारजी म. १. ललियंगचरिअं (प्राकृत) २.वंकचूलचरिअं (प्राकृत) ३. देवदत्ताचरियं (प्राकृत) ४. सुबाहुचरिअं (प्राकृत) ५. मियापुत्तं (प्राकृत) ६. पएसिचरियं (प्राकृत) ७. श्री कन्हैयालालजी म. वंकचूलचरितम् ८. श्री मीठालालजी म.. कथासंग्रहः अर्वाचीन ग्रंथकारों ने ३९ के आस-पास कथाग्रंथ लिखे हैं। हिंदी-गुजरातीअंग्रेजी भाषा में अगणित कथाग्रंथ हैं।

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