Book Title: Sanskrit Bhasha Ke Adhunik Jain Granthkar
Author(s): Devardhi Jain
Publisher: Chaukhambha Prakashan

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Page 68
________________ ग्रन्थ परिचय संस्कृत भाषा में नवरचना करना एक विरल प्रवृत्ति होती है। जैनधर्म की चार प्रमुख परम्परा में कुल मिलाकर 700 के आसपास संस्कृत ग्रंथों की रचना हुई है। इन ग्रंथों के विषय में जानकारी पाने के लिये यह किताब उपयोगी है। देवर्धि जैन अन्य महत्वपूर्ण ग्रन्थाः शिशुपालवधम् (काव्य)। माघ कृत। वल्लभ देव कृत 'संदेह विषौषधि' तथा मल्लिनाथ कृत 'सर्वकषा' टीका द्वय (का. 69) काव्यमीमांसा (काव्य)। राजशेखर कृत। नारायण शास्त्री खिस्ते कृत 'काव्यमीमांसा चन्द्रिका' टीका-हिन्दी टीका-आचार्य शेषराज शर्मा (का. 86) काशिका (व्याकरण)। वामन और जयादित्य कृत पाणिनीय व्याकरण की टीका। नारायण ___मिश्र कृत हिन्दी टीका एवं भूमिका, नोट्स। सम्पूर्ण (1-2 भाग) (का. 37) हरविजयम् (काव्य)। राजानक रत्नाकर विरचित। राजानक अलक कृत टीका सहित। पं. दुर्गाप्रसाद एवं काशीनाथ पाण्डुरङ्ग परव सम्पादित (का. 223) परिभाषेन्दुशेखरः (व्याकरण)। नागेशभट्ट कृत। बेनीमाधव शास्त्री कृत ___ 'शास्त्रर्थकला' टीका। राजनारायण शास्त्री कृत नोट्स आदि (का. 137) नलचम्पूः अथवा दमयन्तीकथा (चम्पू)। त्रिविक्रम भट्ट कृत। चण्डपाल कृत विषमपद' टीका-कैलाशपति त्रिपाठी कृत हिन्दी टीका (का. 98) मृच्छकटिकम् ।महाकविशूद्रक कृत। (नाटक) गङ्गा-संस्कृत हिन्दी व्याख्या युक्त - डॉ. गङ्गासागर राय। (चौ.सं.भ. 14) हिन्दी दशरूपक (नाट्य)। धनञ्जयकृत। धनिककृत दशरूपावलोक संस्कृत टीका तथा प्रदीप हिन्दी व्याख्या डॉ० केशवराव मुसलगाँवकर।। (चौ.सं.भ. 27) ANASI चौखम्भा प्रकाशन CHAUKHAMBHA PRAKASHAN पोस्ट बाक्स नं. 1150 के. 37/116, गोपाल मन्दिर लेन, गोलघर (समीप मैदागिन) वाराणसी - 221001 (भारत) टेलीफोन : 0542-2335929, 6452172 E-mail : c_prakashan@yahoo.co.in Chaukhambha Prakashan Registration Na A-77539

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