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१६. उपसंहार
अर्वाचीन ग्रंथकारों के समक्ष कुछ और भी साहित्य प्रणाली है जो प्राचीन ग्रंथकारों के समक्ष नहीं थी
१.महानिबंध
२. प्रस्तावना
३. मुखपत्र
४. प्रासंगिक १. निबंध
किसी एक विषय के अनेक आयाम का गहन अभ्यास करने के बाद निबंध लिखा जाता है। अर्वाचीन ग्रंथकारों ने कुछ निबंध भी लिखे हैं। निबंध को प्रमाण-पत्र मिलने के बाद महानिबंध कहा जाता है। १. दरबारीलाल कोठिया
१. जैनप्रमाणमीमांसाया:स्वरूपम् २. आत्मा अस्ति न वा । ३. जैनदर्शने करुणाया:स्वरूपम् २. दयाचंद्र साहित्याचार्य विश्वतत्त्वप्रकाशकः स्याद्वादः ३. नेमिचंद्र ज्योतिषाचार्य संस्कृतगीतिकाव्यानुचिंतनम् ४. श्री जिनमणिसागरसूरि साध्वीव्याख्याननिर्णयः ५. बुद्धिमनिगणि
१. कल्याणकपरामर्शः २. पर्युषणपरामर्शः उपरोक्त निबंधों के अतिरिक्त और भी निबंध होंगे परन्तु हमारी जानकारी में उपर्युक्त नाम ही हैं। २. प्रस्तावना प्राचीन ग्रंथकारों ने हस्तलेखन किया। हस्तप्रत में प्रथम पत्र से ही ग्रंथ का प्रारंभ हो जाता था, परंतु आज मुद्रण युग है। मुद्रित पुस्तक में प्रस्तावना, अनुक्रमणिका,