Book Title: Sanskrit Bhasha Ke Adhunik Jain Granthkar
Author(s): Devardhi Jain
Publisher: Chaukhambha Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 16
________________ १४ : संस्कृत भाषा के आधुनिक जैन ग्रंथकार (आगम संबंधी साहित्य लौकिक भाषा में तो पर्याप्त मात्रा में लिखा गया है। आगमों के टब्बार्थ, अनुवाद, विवेचन आदि साहित्य; गुजराती-हिन्दी-अंग्रेजी आदि भाषा में आज मिलता है। आधुनिक भाषाओं का प्रचार बढ़ने से संस्कृत-प्राकृत भाषाएँ उपेक्षित होने लगी हैं। जहाँ गुजराती-हिन्दी-अंग्रेजी में लिखा गया आगम संबंधी साहित्य अति विशाल संख्या में है वहाँ संस्कृत-प्राकृत भाषा में लिखा गया साहित्य अल्प संख्या में है। श्वेतांबर मूर्तिपूजक, स्थानकवासी और तेरापंथी परंपरा को संमिलित करे तो भी आगमग्रंथों पर लिखी गई टीकाओं की संख्या ४३ के आसपास पहुंचती है।)

Loading...

Page Navigation
1 ... 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68