Book Title: Sanskrit Bhasha Ke Adhunik Jain Granthkar
Author(s): Devardhi Jain
Publisher: Chaukhambha Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 47
________________ ४. श्री बुद्धमलजी म. १. निबंधसंदोहः ३. स्मितम् ५. भारतीय-संस्कृतिः ५. श्रीचंद्रजी म. १. अवयवनिबंध: ६. श्री मोहनलालजी म. १. प्रयासप्रशस्तिः ७. श्री मोहन कुमारजी म. संस्कृत भाषा के आधुनिक जैन ग्रंथकार : ४५ २. आत्ममीमांसाप्रवेशिका ४. उत्तिष्ठ जाग्रत २. एकाक्षरनिबंध: २. भारतीय संस्कृतिः निबंधमाला ५. स्तोत्र साहित्य अर्वाचीन ग्रंथकारों की चारों परंपरा में स्तोत्ररचना विशाल संख्या में की गई है। स्तोत्र की और स्तोत्रकारों की सूचि बनाना अत्यंत कठिन है। स्वतंत्र पुस्तक के रूप में जो स्तोत्र संग्रह उपलब्ध थे उसका उल्लेख खंडकाव्य में किया गया है। हिन्दीगुजराती-अंग्रेजी आदि पुस्तकों में एक या दो पन्ने के स्तोत्र मिलते हैं। ऐसे स्तोत्रों को रचना जरूर कह सकते हैं लेकिन ये रचनाएँ ग्रंथ नही है, अतः स्तोत्र साहित्य की संपूर्ण या अपूर्ण सूचि हमने बनाई नही है । यह सूचि एक स्वतंत्र निबंध का विषय बन सकती है। आसपास (अर्वाचीन ग्रंथकारों नें २६ के आसपास महाकाव्य लिखें है, १३० के. खंडकाव्यों की रचना की है, ३२ के आसपास गद्य काव्यों की रचना की है एवं संख्याबद्ध स्तोत्र काव्यों की रचना की है। हिन्दी - गुजराती - अंग्रेजी आदि भाषाओं में काव्य साहित्य लिखा गया है उसे तो सूचि में बांध भी नही सकते हैं।)

Loading...

Page Navigation
1 ... 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68