Book Title: Samyaktva Vimarsh
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 9
________________ ___ की जाय और साथ ही अल्प मूल्य में धार्मिक साहित्य का प्रचार किया जाय तो लाभ हो सकता है । मैने श्रीडोसीजी साहब को मातेश्वरी की आज्ञानुसार स्वीकृति भेजते हुए शीघ्र ही पुस्तक प्रकाशित करने का आग्रह किया। मेरा पत्र पहुँचते ही आपने कार्य प्रारंभ कर दिया और अन्य पुस्तक का मुद्रण रोक कर इसकी छपाई करके पूर्ण किया। परिणाम स्वरूप यह पुस्तक पाठको के सामने उपस्थित हुई है । यदि पाठक इसे ध्यान पूर्वक पढेगे, तो उन को लाभ होगा और मेरी मातेश्वरी की भावना सफल होगी। मेरी मातेश्वरी की इच्छा तो बिना मूल्य के ही पुस्तक देने की थी और मैने यह बात श्रीडोशीजी साहब के सामने रखी, किंतु आपने कहा-'बिना मूल्य की पुस्तक व्यर्थ बहुत जाती है, इसलिए थोडा मूल्य रखकर देना ठीक रहेगा। उसकी बिक्रो से प्राप्त रकम दूसरी पुस्तक के काम मे आ सकेगी।' मातेश्वरी की इच्छा को सफल करने के लिए मैंने " श्रीमती पतासबाई पुस्तकमाला" चालू करने का विचार किया है, जिसकी यह प्रथम पुस्तक है । इसके बाद योजना स्थिर कर, दूसरी पुस्तक के विषय में विचार किया जावेगा। मिलापचंद बोहरा पिसागन (अजमेर) व्यापार स्थल-मंड्या (मैसूर)

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