Book Title: Samdhikavya Samucchaya
Author(s): R M Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad
View full book text
________________
૬.
सिल मट्टी लवणइ पुढविक्राउ * विज्जुक्क अगणि मुह तेउकाउ पत्तेय सहारण वणसईउ किमि पुयर अलस बेईंदिया य चउरिदिय डंस मसा य मच्छि पंचिदिय जलयर णेगमेय सस सप्प हरिण सूयर अरन्नि नारइय सत्त- नरएसु संत वैमाणिय जोइस वंतरा य भव - मज्झ भमंतह मई अभव्वि आसाइय कहवि हु तित्थनाहु साहुणि य सावय सावियाउ' तह पाण-भुय जिय सव्व काल ते तिविह तिविह स्वामेमि पुज
उहि दप्पिि
ते सवि हउं स्वामउ
कालाइ अट्ठ नाणाइयार अइयार अट्ठ चारितचारि पंचाइयार संलेहणाइ वह बंध - मुह जं विहिय हिंस नं थोब वि चोरिय कसु वत्थु ''मेलिउ परिगहु पाव-मूलु जं पनरस कम्मादाण चत्त जं अट्ट रुद झाईउ झाणु
संधिकाव्य-समुच्चय
दूमिह 7. B सावयाण 11. A अइ प° 12. A मीलिउ
Jain Education International
[]
घत्ता
तह संकपिि
हउं ति स्वमावउं
[६]
महि ओस करय हिम आउकायु तलियंट फुक्क धम वा उकाउ' एगिंदिय स्वामउं सवि स्वमीउ जू मंकुण कीड तिइंदिया य
8
खजूरय भमर य तिड विंछि चिड लावय तित्तिर खचर जे य पसु महिस- पमुह "थलयर जि अन्नि जे मणुव-वित्ति माणुस वसंत दस भेय भवणवासी सुरा य जे दूमिय स्वामउं हउं ति सव्वि केवलिय सिद्ध आयरिय साहु चारित्त-नाण- दंसण- गुणा उ आसाइय जे मई गुण-विसाल ते वि हु स्वमंतु अवराहु मज्झ
1. Bo काय 2 A चड 3. B खयर 4. A जलयर 8. B गुणाण 9. A सत्तकाल
४
८
For Private & Personal Use Only
१०
१२
मई जि विराहिय कह वि जिय निंदउं हिव जे दुकिय किय ॥१५
१४
संकाइ अट्ठ दंसणइयार
तवि बार तिन्नि वीरियइयारि
11
जे विहिय कहवि मई इह पमाइ जं जंपिय वयण अलिय- मिस्स जं सेवि मेहुण अप्पसत्थु जं हिंडिउ दिसि जिम तत्त- गोलु बावीस अभक्खई जं च भुत्त जं किछु पाव उवएस दाणु ८ 5. B भमंतर 6. B 10. A संकपिहिं कप्पिहि
8
६
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162