Book Title: Samdhikavya Samucchaya
Author(s): R M Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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१०८
इय जीन वियाणिय बहुविह कम्मासय
संधिकाव्य-समुच्चय
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घत्ता
आणिय
संवर
अइ उद्दामय
माणिीय गुरु वय अमय-सम नामय निय-सत्ति विसम । २७
[४]
* अह व पालेसि निच्च वयं निम्मलं देसि दाणं जाणंदणं बहुपरे भणिअ जाणेसि अत्थे पसत्ये तभो अहव पालेसि सम्मत्तयं सुव्वयं तो तया निम्मिआ धम्मु सवे परे चितयंता इमं नेव फलवद्धिणो एह आहार दिवसंतरा संभवे दिण पुहुत्तेण आहार वन्निज्जए वरिस - सहसेण जाएइ असणे मणो
सुणि-न रे जीव तं किं पि कोऊहलं अहव जत्ताउ तित्थेसु कारेसि रे बारसंगाईं सव्दो वि सिद्धंतओ सत्त वित्तेसु सत्तीइ दव्य व्वयं एग गिद्धिं न छंडेसि जइ जीव रे किं पयं देसु एअस्स रसगिद्विणो भवण - नंतर जहन्नम्म देवे भवे
झमाणं तहा "जोइसाणं जए भवणवइ-चमर - इंदाइ जम्मे पुणो पढम-बिम्मि सग्गम्मि दोहिं तहा दसहिं तह चउदसहि पंचमे टूए इगिग सहसेण जाणिज्न वुड्ढी इमा जाव नवमम्मि आहार गेविज्जए तह यतित स सह तेहिं तेणुत्तरा चक्कवट्टिस्स देवाइ- साहण-कए वासुदेवा बला मंडलस्सामिणो मुक्खि पत्ताण सत्ताण पाणासणं एह ठाणा अन्नं पयं सोहणं as वि एआण अन्नयर पय दिज्जए तेण एयरस तिरिअत्तणं जुज्जए
सव्व पावाई कम्माई दुट्ठा गहा जोइणी-साइणी-भूम-वे आलया
२२
1. B. जइ वि 2. B जा इसाणं 3. B. येहिं 4 B. ठाणो ण 5. B जत्ता 6. A.
बाइणी 7. B सोणु ●
कास-सासाइ कुट्ठाई दुक्खावहा तिब्व-तव-साणुभावेण सव्वे गया
४
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६
तइय- चउथम्मि सहसेहिं सत्तहिं खु हा १० सत्तमे सतर- सहसेहिं मण-इट्ठए सेस - सग्गेसु गीवेअगेसु क्कमा एगतीसेहिं सहसेहिं वन्निज्जए विहि आहार-कामा मणेणं सुरा ठाण-ठाणम्मि अट्टम तवो किज्जए कज दुस्साह साहंति तव कारिणो नत्थि ते वि काळे विकइआ विणं नत्थि तेलुकिक सुक्खाण आरोहणं तो वि एसो विसीएइ किमु किज्जए जत्थ रत्तिम्मि दीसम्मि पुण स्वज्जए २०
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