Book Title: Samdhikavya Samucchaya
Author(s): R M Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 139
________________ ११४ संधिकाव्य-समुच्चय चुल्ल-माइ भउजाई य फूई य मंगल-रक्स करहिं बहु भंगिहि भज्ज-जणणि पित्रिय-मा बहिणि य तो वढइ दाहु सव्वंगिहिं घत्ता इउ इत्तउ मिलियउ जा मह वल्लह पिय जणु कलकलियउ सा कन्हई थकिय तो अणाहु हउं मगह-निव गयणि मयंकह जुण्ह जिंव ॥१३ 0 0 दुक्खि मह पत्त सा रायवह कन्नया नेउ पासाउठेइ (?) आदन्नया (?) चलण चंपेइ फरसेइ सिरु करयलं पिट्टि' जंघोरु उयरं च वच्छत्थल' ताण मुक्कं असण-पाण-तंबोकयं गंध-मल्लं च ण्हाणं च वर-तृलियं पइहि सिरु देवि नीसासु गुरु मुंचए अंसु-पुण्णेहिं नयणेहिं उरु सिंचए ४ मुक्कु सिंगारु नवि विरयएं केसया सुसिय सव्वंग हुय अद्वि-तय-सेसया । भणिउ मई मिल्लि पिय सोगु पइ अन्नयं भणइ तुह सरिस जलु असणु जिउ मरणयं६ जिम जिम देहि वढेइ मह वेयणा पडइ मुच्छाइ विच्छाय निच्चेयणा : धाह मिल्हे वि पभणेइ पिय-सामिणो पियर-कुल-देवि विन्नवइ सुरवर-गणो ८ मज्ज नाहस्स फेडेइ पीडा दुहं दासि तुम्हं तिम करहु जिम होई सुहं . कुरु घिउ दुद्ध न भुजेमि तंबोलयं देमि तुम्ह भोगु बलि सय-सहम-मुल्लयं १० एस मैंह भग्न अणुरत्त-रूवं सया पियइ नवि नीरु जेमेइ अणुमन्निया नेय दुक्खाउ मोएइ बहु भत्तया मह अणाहस्स दुह पीड सव-गत्तया १२ घत्ता जा फिइ नवि दुहु होइ न मह सुहु ता मई चिंतिउ जइ किमइ रोगिहि मिल्लिज्जउ ता पडिवज्जउं जिणह दिक्ख पसरइ11 तिमइ ॥१३ [८] जाव चिंतेवि जिण-दिक्ख मई निय-मणे ताव सुह लग्गु पसरणह सिरि तक्खणे उरह उयरस्स अरूण जंघाउयं जेम विसु मंत-जोएण तिम दुइ गयं २ एम निसि खयह गय वेयणा खय गया सच्छ निय-देहि संबद्ध मई निदया ता पभायम्मि पिय-माइ बंधव-जणो अगि न हु भाइ हरसिउ सयलु परियणो ४ विज्ज-मंतिग य नेमित्त-जोइस-जणा सयल निय संत्ति फोरवहिं हरसिय-मणा 1. दीहु 2. नष्ट पंक्ति 3. चल्लण 4. पिद्धि 5. कच्छच्छेल 6. वियरए 7. जेम 8. तुम्हा 9. हुइ 10. महन्भज्ज अणु• 11. ०रह ति० 12 मई 13 मिई 14. मंलग 15. सति फोखहि. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162