Book Title: Samdhikavya Samucchaya
Author(s): R M Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 141
________________ ११६ • आहारु उबहि जे वसहि पत्तु विमुयहि सचित्त अचित कुद्ध तणु पासहिं घोवहिं भूसहिं गत्तु कुलि गामि वहिं ममत्तु करहिं अन्न वि मुणि जे जिण आण-जुत्त बलु सत्ति न गोवहिं वीरियारु पाणि-बहु अढत्तु लीड वज्जइ अदत्त वहिं कसाय इंदिय दमंति नाणिणे दक्षणि चरिणिण तवेण दसविह- जइ धम्मु करंति धीर आवरसम्गहणासेवणं ति उज्जुय पर - उवयारिहि निरोह - दुम-पक्विि जे तवि तणु सोसहि संधिकाव्य-समुच्चय [१०] Jain Education International घत्ता मासुववासिहिं संजमु पोसहि अणएसण भुंजहिं राइ भत्तु वह - पायरम्मि तन्ह लुद्द ६ ते अणि अप्पर हुंति सत्तु सलु वि अणिच्चु नवि चित्तु घरहिं ४ विहरहिं जगि निस्सह समय गुत्त निय सत्ति वहहिं सीलिंग-भारु मेहुन्न परिग्गह जं दुट्ठ भत्त ते अप्प नाहु अप्प करंति वोरिय भाव सत्तिण बलेण उवसग्ग- परीसह सहण - वीर अपमत्त काल - पडिलेहणं ति अभिय-चित्त जह पवर सीह [ ११ ] कहिउ तुह राय निय-सयल - वित्तंतया जिम अणाही सणाहा व जगि सत्तया रविवयवो पाउ य तणु-वय-मणो लद्धि कुल - जम्म खित्तम्मि आरिय-जणे धम्मु जिणनाह रूवं अरोग्गत्तणं साहु- सामग्गि सा य जिण सासणं धम्मु अणगारु गिह-धम्मु निय-सत्तिणा धारिया य भावण सुह- कंखिणा' ८ १० णाणा विहहिं अभिग्गह हिं लीलइ वच्चई सिव- सुहइ ॥ १३ For Private & Personal Use Only १२ ४ 1. नाणिणी 2 अक्ख० 3 ० विहइ अभिअहहिं 4 अणाहां सणाही य जंगि 5 सहा 6. अहिमारु 7. वो www.jainelibrary.org

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