Book Title: Samdhikavya Samucchaya
Author(s): R M Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 145
________________ १२० संधिकाव्य-समुच्चय पत्ता उवएसह संघिम' निरमल-बुद्धिम जो पढइ पढावइ सुह-मणि भावइ हेमसार इम' रिसि कहइ वह रुद्धि वद्धि सो लहइ ॥ ११ 1. B संधि निरमल बंधी 2. A इम वीनवई ए 3. A सुणइ सुगावइ 4 A सिवसुह 5. अंत: AB. इसि उपदेस संधि समाप्त ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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