Book Title: Samdhikavya Samucchaya
Author(s): R M Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 146
________________ शब्दकोश [अहीं महत्त्वपूर्ण शब्दो ज, संधि, कडवक अने पंक्तिना निर्देश साथे नोंध्या छे. ते ते शब्दोना संस्कृत पर्याय गोळ समां अने गुजरातो अर्थ कौंस बहार आप्या छे. देश्य शब्दोनो मात्र अर्थ आप्यो छे. जरूरी विशेष नोंध गुजराती अर्थ पछी चोरस कौंसमां आपी छे. शंकास्पद शब्द के अर्थ (१) चिह्न वडे सूचवेल छे. संक्षेप: अप०-अपभ्रंश, जू० गु० जुनी गुजराती, जै० परि० =जैन परिभाषा, तुल०=तुलनीय, दे० ना०-देशी-नाममाला, पासम=पाइअ-सद्द-महण्णवो, प्रा.प्राकृत, प्रा० व्या प्रांकृत व्याकरण (सिद्धहेमगत अष्टम अध्याय), म-मराठी, रवा रवानुकारो शब्द, राज-राजस्थानी, वै० सं० वैदिक संस्कृत, सं०-संस्कृत, स्त्री०=स्त्री लिङ्ग, हिं० हिंदी ] अउज्झ १.१.२ अयोध्या अनइ १८.१.३ (अन्यदपि) अने अउर १.१३.२ (अपरं) अवर, हिं० और अनु ६.२.७ ( अन्यद् ) अने अंक २.३.७ (अङ्क) रत्न-विशेष अत्थिजण १.३.८ (अथि-जन) याचक अंध १०.२.५ आंध्रदेशीय मनुष्य अद्द १४.४.५ (आर्द्र) आदु अंबिल १६.२.२ (आचाम्ल, प्रा० आयंबिल) अप्पणि १९.१०.३ (आत्मना) पोते आंबिल, तप-विशेष अप्पाराम ७. ११ आत्माराम अंबोडय २.११.३ (केशकलाप) अंबोडो अम्मा-पिइ ९.१.८ (अम्बा-पितृ) माता-पिता अक्खुडिय ११.९.११ (अखण्डित) अखूट अरबाग १०.२.४ (अरबक) आरब अखलिय ९.६.१ अस्खलित अराल ५.३.३ (अराल) वांकडियु अगड १२.३.१६ (कूप) कूवो अरिह १०.५ २३ अर्हत् अगाह ६.५.४ अगाध अरु १.१२.९, १.१३.६ (अपरं च, प्रा. अग्गल १.२.९ अधिक हिं• अरु) अने अग्गलि ११.४.२, १२.४.२ (अग्र+ल+ अलस ११.५.४ (अलस) अळसियु इसमीपे) आगळ अवट्ट ५.९.९ (आवत) वमळ अग्गि (स्त्री०) १३.८.१ (अग्नि) आग (स्त्री०) अवरीर १.४.४ (अपर) अन्य अच्छइ १३.१३.२ (प्रा० व्या० ४. अवसु २.१०.५ अवश्य २५), अछइ १३.११.२, छइ १३. अहिनाण ९. ३.१३ (अभिज्ञान) एंथाण ११.३ (अस्ति ) छे. आउहि ११.५.१५ (आकुट्टि) हिंसा अच्छण १९.५.९ आसन ? आगइ १२.६.६ (अग्रे) आगळ, हिं. आगे अजीरमाण ४.२.६ (अजोर्यमाण) पच्या विनानु आणवडिअ १९.३.९ आज्ञावर्ती अठ १६.२.२ (अष्ट) आठ आपणपउं १३.६.३ पोताने अड्ड-२.८.९, ४.८.१० (-आरोपय्) आराडिअ १४.४.१४ चीत्कार करतु धारण करणे आरिअ १०.२.११ आर्य अढार १२.३.९ (अष्टादश) अढार आल २.६.८, आलि १०.३.१६ (व्यर्थ) एळे अणच्छ २.३.६ अनल्प आलस १०.३.३ (आलस्य) आळस अणेसण ७.२.७ (अन् एषण एषणा-रहित) आवारिअ ४.१२.३ (आवरित) पहेरान्यु शुद्धि - रहित [जै०परि०] आस १३.९.४ अश्व Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162