Book Title: Samdhikavya Samucchaya
Author(s): R M Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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१११
अणाहि-महरिसि-संधि 'अग्ज वि पहु तरुणउ जुव्वणत्थु काम-ऽत्थ-भोग-भुजेण-तमत्थु ८ सामन्नु एहु किम वहसि अज्ज तरुणत्तणि अइ दुक्कर पवज्ज महु कहहि सयलु निय-चरिउ एहु किम मुक्क दारु धण सयण गेहु' १०
पत्ता मुणि रायह अग्गई कहह समग्गइ निय-वित्तंतु सुमहुरै-झुणि 'कारण सामन्नहं भव-निधिन्नहं निसुणहि नरवर एग-मणि ॥ ११
हउं अणाहो य नवि नाह महं कु वि जए
कुणवि अणुकर बह सरणु पडिवज्जए' हसवि वयणं च पभणेइ मगहाहिवो।
'एस तुह इढेिमंतस्स नवि नाहओ २ होमि हउ नाह तुह विलसि सुह-संपया
पंचविह विसय मणहरण सह-भज्जया देमि तव रज्जु पासाय हय गय भडा
सेज वर-तूल तंबोल रस विच्छडा'. 'पढम अप्पणु अणाहो सि तुहुँ' नावरा
नाहु किम होसि अवरह पुहवीसरा' भणिउ रिसि एव जा सेणि३ वयणयं
चित्ति संभंतु पडिभणह मिन्नं हियं ६ 'वयणु सुणि नाह तुह एहु अपुव्वयं ।
भणिसि जं में अणाहो य सुह-संपयं मझ हय हस्थि रह जोह पुहई" धणं
दास दासी य वर कामिणी परियणं ८ माणवडि मो य व इ मह परिमणो
एरिसा रुद्धि भुजेमि सुह-गय-मणो सव्व गुण काम महु रुद्धि हं नरवई
कह अणाहो [ह]उ भणसि जुद्र जई १० 1. भुजण 2. अयह 3. सुमुहर 4. महि 5. इच्छिमं० 6. पसाइ हइ ग० 7. तुह 8. अवरांह 9. संजंतु 10. पुहइ
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