Book Title: Samdhikavya Samucchaya
Author(s): R M Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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सील-संधि
कोडि-सिलमिक्क-बाहाइ जे धारही बलिण दप्पिट नर स्वयर वसिकारही विसम-सर-पसर-पडिलग्ग'-प्तव्वायरा ते वि सोलंग-भर-वहणि अइ-कायरा ८ सीसु नामंति जे कस वि न हु अत्तणो सुहड-भडिवाय-पडिभग्ग- पडिससुणो । राग-निगडेहिं मयणेण* पुण दामिया ते वि अबलाण पाएसु नर नामिया १० बंभु चउ-बयण किउ रुद्द नच्चाविओ इंदु सहसक्खु तवणो वि तच्छाविमो सयल सुर विसय-जंतेण इय घल्लिया 'मयण मल्छेण इक्खु व्व संपिल्लिया १२ नाणवंता वि तह तविय-निय-देहया तिव्व-भावेण परिचत्त-धण-गेहया . 'राग-गह-गहिय पुण वोसमित्ताइणो लोग-पयडा वि अब्बंभ-पडिसेविणो १४
पत्ता सेणिय-निव-पुत्तु वि अइसय-जुत्तु वि नंदिसेग जिण-सीसु जह हूँउ विसयासत्तउ इंदिय-जित्तउ ता घिरत्थु इंदिय-बलह ॥१५
· [३] गुरु-धयण-अमय-रस-सित्त-अंग। वेरग्ग-खग्ग-हय-सयल-संग वम्मह-मय-भंजण दढ-पयन्न
अक्खड सीलु पालहिं ति धन्न मयरद्धय-सबल-प्तमीरणेण
सुरगिरि-गरुयाण'' वि चालणेण सील दुम कंपिउ नेव जाह गुरु-भत्तिहि पणमउं"पाय ताह" उन्भड-नवजुव्वण-आण-सज्ज नव-रंग चत्त जिणि अट्ठ" भज्ज़ मोहारि-अगजिउ सिद्धि-गामि सो जयउ जयउ जगि जंबु-सामि वेसह घरि छहि रसि रप्ति महारु वीसासिवि तिहुयण-मल्ल मारु झाणग्गि दहवि जिणि तसु विणासु किउ थूलभदि पय नमउं तासु .. रहनेमि पराजिउ विसय-वग्गि । पडिबोहि व ठाविवि जीह मग्गि सा सीलवंत उगसेण-धूय __सीलिग तिहु भुवणिहि पयड य १० "अभयादेवि संकडि पाडिएण मणसा वि न खंडिउ सीलु जेण महमहइ महारिसि-मज्झि" तस्स सिय-जसु गिहिणो वि सुदंसणस्स १२ 1. A. पडिभग्ग 2. A. वहण 3. A. पडिलग्ग 4. B मयणेसि 5 B मयणामोहेण 6. A. भव भविय 7. B. रोग 8. A जइ 9 A बलहो 10. B. धन्ना 11. B. गरूयाण 12. A पणमउ 13. A ताय 14. A आठ 15. A वीसासवि 16. B. थूलभद्द 17. B अभयादिवि 18 B मज्झ ।
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