Book Title: Samdhikavya Samucchaya
Author(s): R M Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad
View full book text
________________
१५. सील-संधि [कर्ताः जयशेखरसूरि-शिष्य रचना-समय : ई.स.१४०० पूर्व लेखन-समय : ई.स.१४१३]
ध्रुवक सिरि-नेमि-जिणिंदह पणय-सुरिंदह पय-पंकय 'सुमरेवि मणि वम्म ह-उरि-कीला कय-सुह-मीलह सोलह संथवु करिसु हां
जे सोल धरहि नर निरइयारु ___ तव-संजम-नियमह मज्झि सारु इह जम्मि वि सिरि-कित्तिहि सणाह विष्फुरइ समीहिय-सिद्धि ताह दीहाउ महायस इड्ढिमंत अहमिंद महा-बल-तेय-जुत्त अखंड-सीलधर भविय सत्त सुर-सुक्ख लहहि पर-लोय-पत्त तित्थयर-चक्कि-बल-वासुदेव सुर-खयर-नरिंदिहिं विहिय-सेव अन्ने वि जि तिहुयण-सिरि-निहाण ते सील-कप्पतरु-कुसुम जाण भुंजेविण सुर-नर-खयर-भोग आजम्म-काल-गय-रोग-तोग अखंड-सील-सोहिय-सरीर निव्वाण-सुक्ख लहु लहहि धीर सो दाणु सव्व-किरिया-पहाणु तवु सु ज्जि सयल-सुक्खह निहाणु सा भावण सिव-साहण-समत्थ अखंड धरिज्जइ सील जत्थ १० महिलाउ जाउ पर-रक्खियाउ लज्जाइ बंभ-वय-धारियाउ ताउ वि जंति सुरलोय चंगि जिणु भासइ पन्नवणा-उवंगि
घत्ता जं कलि-उप्पायण जण-संतावण नारय-पमुह वि सिद्धि गय निम्मूलिय-हीलह निम्मल-सीलह तं पभावु पसरइ पयडु ॥१३
[२]
निविड-सीलंग-सन्नाह-संनद्धया रमणि-जण-नयण-वाणेहिं जि न विद्धया चत्त-गिहवास सिव-सुक्ख-संपइ-°कए तेसि पणमामि भत्तीइ 'पय-पंकए २ तिव्व-तत्र-चरण-निद्धविय- रस-पेसिणो बहुय दोसंति लोयम्मि सुमहेसिणो . गरुय-सीलंग-भर-वहण-कय-निच्छया विरल किवि अस्थि पुण मुक्ख-तल्लिच्छया ४ जे बियाणंति धम्मस्स तत्त जणा सग-अपवग्ग-संपत्ति-कय-निय-मणा रमणि-जण-रूव-लावन्न- वक्वित्तया ते वि भव-भोय बंभम्मि चल-चित्तया ६
___ 1. B समरेवि 2 B करिस 3. A कालु 4. B. सुरलोइ 5. A. बाणेहि 6. B. संपय 7. A. भत्तीय 8. A बह 9. B. निव्वया
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162