Book Title: Samdhikavya Samucchaya
Author(s): R M Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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१०२
संधिकाव्य-समुच्चय
[३] अह अहिणव मुणिवर सेवंतउ पंच-महन्वय-भारु वहंतउ किरिय-कलावि सयावि अचुक्कउ कसु कसु कुणइ न चित्ति चमक्कउ २ पंच-समिय तिहुं गुत्तिहिं गुत्त उ दस-विह-समण-धम्म-उववत्तउ दिइ तिणि अहिणव मुणिर ए संघह मणि न हु हरिम समाए जयणा-जणिय- नगज्जिय-रक्खणु अमिय-महुर-मिय-वयणु सुलक्खणु निम्मल-प्सीलि कलिउ भवि सारउ सो मुणि थिउ मुणिवरहं पियारउ ६ जिम जिम सुद्ध-सहावु सऊजमु हेमकलस-मुनि पालइ संजमु तिम तिम सुइ-गुर-चित्ति वइट्ठउ ऍहु मुण होस्यइ गुणिहिं गन्दुिर ८
पत्ता तो सो मुणि धन्नउ सुह-गुरि दिन्नउ पढण-कग्जि सुय-सिरि-हरहं कय-सपय-पइट्ठा मुणि-मण-इट्ठह वयरसेण-सूरीसरहं ॥९
तो सिरि-वयर सेणसूरि-राओ
तासु उवरि कय-गरुय-पसाओ शत्ति पढावइ क(?प)य-व-माणू आगम-लक्खण-छंद-प्रमाणू सुविहिय-विहि सवि जोग वहाविय सयल सुद्ध सिद्धत वचाविय सुहम विचार-सार सिक्ववियउ हेमकलसु तो गणि-पदु(दि) ठवियउ ४ सुह-गुरु-साथिहिं तित्थ नमंतउ देस-दिसंतरि विहि विहरंतउ वेयावाचु विण उ पयडंतउ
हेमकलसु थिउ गणि विहरंतउ मह सुइ-गुरु सांभरिहिं पत्ता
तत्थ साह पाल्हइ विन्नत्ता 'इकु पलाउ सामिय महु दिन । हेमकलसु वाणारिउ किज्जउ' ८
पत्ता तो मुह-गुरि विस्थरि सत्तरइ वच्छरि किउ वाणारिउ हेम गणि तहिं संघु हकारिउ उच्छ उ कारिउ पाल्हइ साहि विसुद्ध-मणि ॥ ९
[५] भासोजहिं जिम [घण?] गंभोरो सोम जिम सुपसन्न सरोरो रूवि मयण जिम मणु मोहंतउ तव-तेयहिं रवि निम दिपंतउ हेम कळस गणि पंडिय-राउ संजम-प्तिरि-थिर-कब-अणुराउ महियलि विह[१]इ विछाय-पमाउ भज्जंतउ वदिय-भडिवाउ
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