Book Title: Samdhikavya Samucchaya
Author(s): R M Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 79
________________ ५४ आवज्जिउ' गुणिहिं सु-सावयत्तु नमया परिणीअ महेसरेण रिसिदत्त तीइ कय एग-चित्त आदिउ सयलु वि नयर- लोगु ओलोअणि अह निअ + - मुहु पमत्त तंबोल - पिक्क तिणि मुत्रक जाव मुणि जंपइ ' कुणइ जि मुणिवराण इअ सुणिवि झत्ति उवरिम खणाउ सा नमिवि भणइ ' तुम्हि खम - निहाण सावस अणुग्गहु मह करेह मुणि भणइ ' भावि पिययम - विओगु मई जाणिउ नाणिण कहिउ तुज्झ इअ मुणिपहु-वयणिहिं पिअयम आसासिअ 1 2 संधिकाव्य-समुच्चय 10 Jain Education International पडिवज्जिउ " रंजिउ ताहं चित्तु तउ कूववंदि पहुतउ महेण जिणनाह धम्मि सासुरय-जुत्त नम्मय - गुणेहिं तह सयण - वग्गु दप्पणि पिक्खिवि वक्खित्त-चित्त अह जंतह मुणि- सिरि पडिअ ताव २२ आसायण होइ विओगु ताण ' उत्तरिवि साहु खामइ पमाउ पहणंत धुणंतह दय-पहाण अवराहु एक्कु मुणिवर ! खमेह निअ - निबड- पु० - कम्मिण अभंगु नहु सावु एहु मा वच्छि ! मुज्झ घत्ता 13 अमिअ-समाणिहिं सीलि पसंसिअ ' [ २ ] अन्नया रुहद तंगओ चल्लए पोअ - वणिजेण वच्चंतु मुकलावए केह विन हुठाइ सह चलइ नमया - सई सुणिवि सर-लक्खणं कहइ पइ- अग्गए पिंग केसो अ बत्तीस - वरिसो इमो इय सुणिवि पिअयमो 'चितए 'दुद्दमा इत्तियं कालमेसा मए जाणिआ कुल - कलंकस्स हेउ ति मारेमि वा अलि-कुवि अप्प - पूरिअ मणो जा गओ उत्तरिउ तत्थ पाणीअ-इंधण-कए 1. आवज्जीउ 2 वज्जीउ 3 8. नीअ 9. ईअ 10. अमीअ 14. पीयअमो " १८ For Private & Personal Use Only २० २४ २६ २८ अप्पदुक्ख 11 संवेग - जुय करइ धम्मु निम्मल - चरिय ॥२९ २ जवण-दीवम्मि बहु- दव्व-अज्जण कए सयण वग्गं तहिं नम्मयं ठावए जा चलइ पवहणं कोइ ता गायई नम्मया ' गाइ जो पुरिसु सो नज्जए ४ पिहुल-वच्छत्थलो सामलो सक्कमो ' जा इमं मुणइ सा नूणमसई इमा ६ साविआ सील- विमल त्ति सम्माणिआ तिक्ख-सत्थेण जलहिम्मि घल्लेमि वा ' ८ रक्खस-दीव सहस त्ति ता आगओ नम्मया - सहिउ सो दीवु अवलोअए १० °चित्तु 4. नीअं 5. पडीअ 6. ईअ 7. पीययमत्रीओगु 11. दुःख 12. आसासीअ 13. पस सीअ www.jainelibrary.org

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