Book Title: Samaysara
Author(s): Kundkundacharya, Parmeshthidas Jain
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust

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Page 7
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates समयसार ॐ जिनजीकी वाणी खिरें । सीमंधर मुखसे फुलवा जींकी कुन्दकुन्द गूँथे माला रे. जिनजी की वाणी भली रे । भली, वाणी प्रभू मन लागे जिसमें सार समय शिरताज रे. जिनजी की वाणी भली रे । गूंथा पाहुड़ अरु गूंथा पंचास्ति, गूंथा जो प्रवचनसार रे, जिनजी की वाणी भली रे । गूंथा नियमसार गूंथा रयणसार, गूंथा समयका सार रे, जिनजी की वाणी भली रे । स्याद्वादरूपी सुगन्धी भरा जो, जिनजीका ओंकारनाद रे, जिनजी की वाणी भली रे । वंदूं जिनेश्वर, वंदूं मैं कुन्दकुन्द, वंदूं यह ओंकारनाद जिनजी की वाणी भली रे हृदय रहो मेरे भावों रहो, मेरे ध्यान रहो जिनजी की जिन वाण रे, वाणी भली रे । वाणीकी गूंज, जिनेश्वरदेवकी मेरे गूँजती रहो दिन रात रे, सीमंधर० सीमंधर० सीमंधर० जिनजी की वाणी भली रे । सीमंधर० Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com ७

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