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समयसार
ॐ
जिनजीकी वाणी
खिरें ।
सीमंधर मुखसे फुलवा जींकी कुन्दकुन्द गूँथे माला रे. जिनजी की वाणी भली रे ।
भली,
वाणी प्रभू मन लागे जिसमें सार समय शिरताज रे. जिनजी की वाणी भली रे । गूंथा पाहुड़ अरु गूंथा पंचास्ति, गूंथा जो प्रवचनसार
रे, जिनजी की वाणी भली रे । गूंथा नियमसार गूंथा रयणसार, गूंथा समयका सार रे, जिनजी की वाणी भली रे । स्याद्वादरूपी सुगन्धी भरा जो, जिनजीका ओंकारनाद रे,
जिनजी की वाणी भली रे ।
वंदूं जिनेश्वर, वंदूं मैं कुन्दकुन्द, वंदूं यह ओंकारनाद
जिनजी की वाणी भली रे हृदय रहो मेरे भावों रहो,
मेरे ध्यान रहो
जिनजी की
जिन वाण रे, वाणी भली रे । वाणीकी गूंज,
जिनेश्वरदेवकी
मेरे गूँजती रहो दिन रात रे,
सीमंधर०
सीमंधर०
सीमंधर०
जिनजी की वाणी भली रे । सीमंधर०
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