Book Title: Rajprashniyasutram
Author(s): Malaygiri,
Publisher: Agamoday Samiti
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उद्यानपा
श्रीराजप्रश्नी मलयगिरीया वृत्तिः
॥ १२५॥
मूचना केशिकुमारा4 गमनं
५८
वयणं पडिसुणंति ॥ (सू० ५७)॥ तए णं चित्ते सारही जेणेव सेयविया णगरीतेणेव उबागच्छह २त्ता सेयवियं नगरिं मझमज्झेणं अणुपविसइ २त्ता जेणेष पएसिस्स रणो गिहे जेणेव पाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ २ ता तुरए णिगिण्हइ २ रहं ठवेइ २त्ता रहाओपच्चोरूहइ २ त्ता तं महत्थं जाव गेण्हइ २ जेणेव पएसी राया तेणेव उवागच्छइ २ ता पएसि रायं करयल जाव वडावेत्ता तं महत्थं जाव उवणेइ। तर णं से पएसीराया चित्तस्स सारहिस्स तं महत्थं जाव पडिच्छइ २त्ता चित्तं मारहिं संक्कारेइ २ ता सम्माणेई २ पडिविसज्जेइ। तर णं से चित्ते सारही पएसिणा रण्णा विसज्जिए समाणे हट्ट जाव हियए पएसिस्स रन्नो अंतिमाओ पडिनिक्खमइ २त्ता जेणेव चाउघंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइ२ चाउग्घंट आसरहं दुरुहइ २त्ता सेयवियं नगरि मज्झंमज्झेणं जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छह २त्ता तुरर णिगिण्हइ २ रहं ठवेद २ रहाओ पच्चोरुहहर पहाए जाव उप्पि पासायवरगए फुहमाणेहिं मुइंगमत्थरहिं बत्तीसइबद्धएहिं नाडएहिं वरतरुणीसंपउत्तेहिं उवणच्चिज्जमाणे२ उवगाइज्जमाणे २ उवलालिज्जमाणे २ इंठे सदफारिस जाव विहरह ॥ (सू०५८)॥ तए ण केसीकुमारसमणे अण्णया कयाइ पाडिहारियं पीढफलगसेज्जासंथारणं पच्चप्पिणइ २ सावत्थीओ नगरीओ कोढगाओ चेइयाओ पडिमिक्खमहरपंचाहि अणमारसरहिं जाव बिहरमाणे जेणेव केयइअडे जणवर जेणेव सेयरिया नगरी जेशव मियवणे उज्जाणे तणेव
॥१२॥
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