Book Title: Rajprashniyasutram
Author(s): Malaygiri,
Publisher: Agamoday Samiti
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श्रीराजमश्नी मलयगिरीया वृत्तिः
अच्छिद्रेजोवगते शंका तदुत्तरं च मू०६७
॥१३४॥
पुण मे कारणं णो उवागच्छति, एवं खलु भंते ! अहं अन्नया कयाई बाहिरियाए उवद्वाणसालाए अणेगगणणायकदंडणायगईसरतलवरमाडंबियकोडुंबियइन्भसेडिसेणावइसत्थवाहमंतिमहामंतिगणगदोवारियअमच्चचेडपीढमद्दनगरनिगमदूयसंधिवालेहिं सद्धिं संपरिखुढे विहरामि । तए णं मम णगरगुत्तिया ससक्खं सलोई सगेवेचं अवउण(वाउड बंधणबद्धं चोर उवणेति. तए णं अहं तं पु. रिसं जीवंतंचेव अउकुंभीए पक्खिवावेमि अउमएणं पिहाणएणं पिहावेमि अएणय तउएण य आयावे. मि आयपचइयएरोह पुरिसेहि रक्खावेमि, तए अहं अपण्या कयाई जेणामेव सा अउकुंभी तेणामेव उवागच्छामि उवागच्छित्तातं अउकुंभी उग्गलच्छावेमि उग्गलच्छावित्तातं पुरिसं सयमेव पासामि णो चेव णं तीसे अयकुंभीए केइ छिडेइ वा विवरेइ वा अंतरेइ वा राई वा जओणं से जोवे अंतोहितो बहिया जिग्गए,जइ ण भंते तीसे अउकुंभीए होज्जा केइ छिड्डु वा जावराई वा जओ णं से जीवे अंतोहितो चहिया णिग्गए. तोणं अहं सद्दहेज्जा पत्तिएज्जा रोएजा जहा अन्नो जीवो अन्नं सरीरं नो तं जीवो तं सरीरं, जम्हा णं भंतेतीसे अउकुंभीए णत्थि केइ छिड्डे वा जाव निग्गर,तम्हा सुपतिट्ठिया मे पन्ना जहा तंजीवो तंसरीरं नो अन्नो जीवो अन्नं सरीर । तर णं केसीकुमारसमले परसिं रायं एवं बयासी-पएमी! से जहा नामए कूडागारसाला सिया दुहओलिता गुत्ता गुत्तदुवारा गिवायगंभीरा, अहण्णं केइ पुरिसे भेरिं च दंडं च गहाय कूडागारसालाए अंतो २ अणुप्पविसइ २त्ता
॥ १३४॥
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