Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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कोश के प्रकाशक श्री मूलचन्दजी गुप्ता साधुवाद के पात्र हैं । कोश के जैसे वृहत प्रकाशन के लिये जब बड़े-बड़े प्रकाशक कतराते हैं तब मातृभाषा को सेवा करने के लिये श्री गुप्ता जी के साहस की जितनी भी प्रशंसा की जाय, कम होगी। यहाँ इसी प्रकाशन संस्था के प्रतिनिधि श्री कुभसिंह राठौड़ को भुलाया नहीं जा सकता।
कोश का द्वितीय भाग भी प्रकाशनाधीन है और कुछ ही मासोपरांत वह भी विद्या-व्यसंगियों के हाथ में होगा।
मातृभूमि से दूर इस अन्तिम अवस्था में, मैं अपनी जिस साध को पूरी कर सका हूँ, वह मातृभूमि को रज की कृपा और आशीर्वाद का प्रताप है, नहीं तो किसी संस्था या सरकारी सहायता के बिना शब्द कोश जैसे महत्त्वपूर्ण और व्यय साध्य कार्य का पूर्ण होना असम्भव था। राजस्थान छोड़ने के बाद इसकी आशा ही छोड़ दी थी।
इस कार्य में मेरे पुत्र चि. प्रो. भूपतिराम का सहयोग नहीं होता तो इस रूप में आज भी इसका तैयार होना कठिन था । दो युगों से गुजरात में रहते हुये और हिन्दी का अध्ययन-अध्यापन करते रहने पर भी मातृभूमि और मातृ-भाषा के प्रति यह उसकी असोम भक्ति का परिचायक है । प्राधुनिक राजस्थानी साहित्य प्रार महाकवि पृथ्वीराज राठौड़ : व्यक्तित्व और कृतित्व आदि उसके मौलिक ग्रंथ तथा अन्य साहित्यिक प्रवृत्तियाँ इसकी साक्षी हैं।
अध्यापन कार्य की अनेक-विध प्रवृत्तियों, एन. सी. सी., विश्वविद्यालय की सेनेट का सदस्य आदि अनेक स्थानिक गति-विधियों में भाग लेते हुये जो अमूल्य सहयोग (शब्द संकलन, अर्थ-विचार, प्रेस कापी बनाने, प्रूफ संशोधन तथा पत्र-व्यवहार प्रादि) रहा है, उसको तो उसने मात्र सेवा और कर्तव्य समझ कर ही किया है, परन्तु उसका मूल्य प्रांका नहीं जा सकता। शतश: पाशीर्वाद ।
डॉ. नरेन्द्र भानावत ने दो एक वर्ष पूर्व कोश को प्रकाशित करने की तत्परता बतलाई थी और सुकवि मुकनसिंह बीदावत ने मेरे प्रावास आदि की व्यवस्था करने की जिम्मेवारी उठाने का सहज भाव से जो निमन्त्रण दिया था, उसके लिये उनका आभारी हूँ।
अ० बदरी प्रसाद साकरिया
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