Book Title: Raghuvarjasa Prakasa
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 12
________________ लालजी मेनारिया द्वारा लिखित राजस्थानी भाषा और साहित्यमें बहुत संक्षिप्त परिचय ही प्राप्त है। किसनाजी संस्कृत, प्राकृत, वृजभाषा एवं राजस्थानी भाषाके उद्भट विद्वान थे । लाक्षणिक ग्रंथोंका भी इनका ज्ञान पूर्ण परिपक्व था। इतिहासकी ओर भी आपकी विशेष रुचि थी। कर्नल टॉडको अपना राजस्थानका वृहद् इतिहास लिखनेमें किसनाजीके अथक परिश्रमसे पर्याप्त ऐतिहासिक सामग्री उपलब्ध हुई थी। ये उदयपुरके तत्कालीन महाराणा भीमसिंहजीके पूर्ण कृपापात्र थे। महाराणा भीमसिंहजीने आपको काव्य-रचनासे प्रभावित होकर सीसोदा नामक ग्राम प्रदान किया था जो अद्यावधि इन्हींके वंशजोंके अधिकारमें रहा। महाराणा भीमसिंहजी द्वारा इस ग्रामको किसनाजीको प्रदान करनेका किसनाजी कृत निम्नलिखित एक डिंगल गीत हमारे संग्रहमें है गीत कीजै कुरण-मीढ न पूजै कोई, धरपत झूठी ठसक धरै । तो जिम 'भीम' दिये तांबा पत्र, कवां अजाची भला करै ॥१॥ पटके अदत खजांना पेटां, देतां बेटां पटा दिये। सीसोदौ सांसण सीसोदा, थारा हाथां मौज थिय ॥ २ ॥ मन महारांण धनौ मेवाड़ा, दाखै धाड़ा दसू दसा । राजा अन बांधे रजवाड़ा, तू गढवाड़ा दिये तसा ॥ ३ ॥ अधपत तनै दियारौ अंजस, लोभी अंजस लियारौ। भाण साच जणायौ 'भीमा', हाथां हेत हियारौ ॥ ४ ॥ किसनाजी द्वारा रचे हुए मुख्य दो ग्रंथ उपलब्ध हैं-एक भीमविलास और दूसरा रघुवरजसप्रकास । भीमविलास महाराणा भीमसिंहजीकी आज्ञासे संवत् Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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