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[ ३ ] १. पिंगळ-सिरोमणि ... रावळ हरराज कृत २. पिंगळ-प्रकास ... हमीरदांन रतनू कृत ३. लखपत पिंगळ ... , , , ४. हरि-पिंगळ ... जोगीदास चारण कृत ५. कविकुळबोध ... उदयराम बारहठ कृत ६. रघुनाथरूपक ... मंशाराम सेवग कृत ७. रघुवरजसप्रकास ... किसनाजी आढा कृत ८. रण-पिंगळ
दीवाण रणछोड़जी द्वारा संग्रहीत ६. डिंगल कोश ... कविराजा मुरारिदानजी मीसण कृत उपर्युक्त छंदोंके लाक्षणिक ग्रंथोंमें लखपत पिंगळको छोड़ कर छंदोंके लक्षणोंके साथ साथ गीतोंके लक्षण व रचना-नियम दिये गये हैं । लखपत पिंगळमें केवल गीतोंके रचनाके नियम न देकर केवल गोत ही दिए गए हैं।
हमने जिन ग्रंथों के नाम ऊपर दिए हैं उनमें केवल तीन ग्रंथ प्रकाशित हो चुके हैं और चौथा यह रघुवरजसप्रकास है । शेष पाँच ग्रन्थ अप्रकाशित हैं।
कवि परिचय प्रस्तुत रीतिग्रन्थ रघुवरजसप्रकासको समाप्ति पर स्वयं कविने एक छप्पय लिख कर अपना वंश-परिचय दिया है, वह इस प्रकार है -
छप्पै 'दुरसा' घर "किसनेस', "किसन' घर सुकवि 'महेसुर'। सुत 'महेस' 'खुमाण' 'खांन साहिब' सुत जिण घर ।। 'साहिब' घर पनसा' है 'पना' सुत 'दुलह' सुकव पुण । 'दूलह' घर खट पुत्र 'दान' 'जस' 'किसन' 'बुधो' भण ।। 'सारूप' 'चिमन' मुरधर उतन, परगट नगर पांचेटियौ ।
चारण जात पाढ़ा विगत, 'किसन' सुकवि पिंगळ कियौ ॥ स्वयं कवि द्वारा प्रदत्त वंश-परिचयसे हमें ज्ञात होता है कि लाक्षणिक ग्रंथ रघुवरजसप्रकासके रचयिता सुकवि किसनजी राजस्थानके प्रसिद्ध एवं राष्ट्रभक्त कवि पाढा गोत्रके चारण श्रीदुरसाजीकी वंश-परम्परामें थे। प्रस्तुत ग्रंथ-रचयिताके परिचयके पूर्व उनके पूर्वज चारण-कुल-भूषण सुकवि दुरसाजीका संक्षिप्त परिचय देना आवश्यकीय होगा। __सुकवि दुरसाजी आढ़ा गोत्रके चारण थे जिनका जन्म जोधपुर राज्यांतर्गत सोजत तहसीलके धुंधला नामक ग्राममें अमराके पुत्र महाके घर संवत्
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