Book Title: Raghuvarjasa Prakasa Author(s): Sitaram Lalas Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur View full book textPage 9
________________ [ २ ] निरंतर बढ़ते ही गये, जिसके फलस्वरूप प्रागेके ग्रंथोंमें अनेक प्रकारके छद हमें मिलते हैं । अन्य भाषाओं के समान ही राजस्थानी भाषा में विशिष्ट रीति-ग्रन्थों की रचना प्रारम्भ हुई । रीति-ग्रन्थकारोंने अनेक मौलिक छंदों का भी निर्माण किया । वर्णवृत्त एवं मात्रिक छंद हिन्दीमें भी बहुत अधिक संख्या में प्राप्त हैं, परन्तु गीत नामक छंद डिंगलकी अपनी नवीनतम एवं मौलिक रचना है । यद्यपि राजस्थानी साहित्य के निर्माण में चारण कवियोंकी ही प्रधानता है, फिर भी यहां पर यह कहना होगा कि डिंगल गीत छंदके रचयिता तो चारण कवि ही हैं । छंदशास्त्रका सबसे प्राचीनतम संस्कृतका पिंगल मुनिकृत पिंगल छंदशास्त्र है । ग्रन्थकारने अपने पिंगल छंद शास्त्रमें पूर्वाचार्योंका उल्लेख किया है परन्तु उन सबके नाम सूत्रोंमें ही रह गये उनके ग्रन्थ उपलब्ध नहीं होते हैं । पिंगल मुनिके छंदशास्त्र के बाद छंदों का विशद वर्णन ग्रग्निपुराण में मिलता है परंतु पिंगल छंदशास्त्र और अग्निपुराण में वर्णन किये गये छंदशास्त्रका प्रकरण परस्पर मिलता-जुलता ही है । इसके बाद छंद शास्त्र पर अनेक ग्रंथ रचे गये । उनमें से 'श्रुत-बोध', 'वाणी- भूषण', 'वृत्त - रत्नाकर', वृत्त दर्पण', वृत्तकौमुदी' 'सुवृत्त - तिलक' और 'छंदो-मंजरी' बहुत प्रसिद्ध हैं । केदार भट्ट विरचित 'वृत्त - रत्नाकर' और गंगादास रचित 'छंदो - मंजरी' का तो घर-घर प्रचार है । ये दोनों ग्रंथ इस विषय के पूर्ण मान्य ग्रन्थ हैं । हिन्दी भाषा में रीतिकालीन कवियोंने अनेक छंदशास्त्रोंकी रचना की । उनमें कई प्राकृतके छंदों और उपर्युक्त संस्कृत रीतिग्रंथोंके छंदों को ग्रहण किया गया । इस प्रकार पूर्वापर पद्धत्यानुसार हिन्दी में भी छंदों के लाक्षणिक ग्रंथ पृथक लिखे गये । इधर मरु भाषा डिंगल या राजस्थानी में भी समय समय पर छंदों के लाक्षणिक ग्रन्थ रचे गये । सर्वप्रथम पिंगल मुनिके संकेत मात्र लेकर नागराज पिंगळ' डिंगल छंदशास्त्र नामक बृहद् ग्रंथ रचा गया, परन्तु मूल ग्रंथके रचयिता के नामका पता न चला और यह ग्रन्थ पूर्णरूपमें प्राप्त भी नहीं है । दो स्थानों पर मैंने इस ग्रन्थकी पांडुलिपियां देखी हैं; छंदोंके साथ-साथ गोतों के भी लक्षण दिए गए हैं, परन्तु यह ग्रन्थ अभी अप्राप्य सा हो है । उपर्युक्त ग्रन्थ के प्रतिरिक्त अद्यावधि डिंगलके छंदशास्त्र पर प्राप्त ग्रंथ हैं जिनके नाम क्रमश: इस प्रकार हैं १ नागराज पिंगळ छंदशास्त्रकी एक प्रति सिवाना नगर में एक जैन यतिके अधिकार में सुरक्षित है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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