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पुराण और जैन धर्म
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आम' राजा की "मानादेवी" नाम की एक पटराणी थी. उसके गर्भ से "रवगडा" नाम की बड़ी सुन्दर एक कन्या उत्पन्न हुई।
किसी समय दैवयोग से इन्द्रसूरि नाम के - जैनमाधु-हा गये । उन्होंने देखा कि राजकुमारी सोलह वर्ष की हो चुकी है और (2) जर्ति प्रतियोजिता ॥३६॥
तत्यानाम्येतिविश्रुता । गर्भासाता ॥३३॥ जाताना
सम्पूर्ण
दहिता समये या चन्द्रनिभानना ॥ ३८ ॥ नाममाभूि
एकदा दैवयोगेन देन ॥ ३६ ॥
जन्मना।
॥ ४० ॥
यानी रंग मिनि इन्जीवि । जावरा च कथयामास भारत ॥ ४६ ॥ रचनामा यूनिक विमोहिता ।
नाम नागवणा ॥ ४५ ॥
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पायी ॥ १३ ॥
महादर्शनामिति । arraft देवनानि ॥ ४४ ॥ धर्मान् सभागय राजधानी बनाना । देश स्थापयामास ॥ ४५ ॥ निधा भूता निमाश्रिता 1 बारामैः पूज्यन्ते नांगियोतिम् ॥ ४६ ॥
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