Book Title: Puran aur Jain Dharm
Author(s): Hansraj Sharma
Publisher: Atmanand Jain Sabha

View full book text
Previous | Next

Page 98
________________ ডম पुराण और जैन धर्म स्कन्ध पुराण के आम और कुमारपाल से भिन्न हैं स्कन्ध पुराण में जिस आम और कुमारपाल का उल्लेख है वे तो कलियुग के आदि में और एक ही समय में हुए हैं । परन्तु इस बात के लिये सिवा स्कन्ध पुराण के अन्य कोई बलिष्ट प्रमाण नहीं और स्कन्ध पुराण के लेख पर इसलिये विश्वास करने को मन नहीं करता कि उसमें इन्द्रसूरि नाम के जैन साधु द्वारा कुमारपाल के जैन धर्मानुयाया होने का जो वर्णन है वह किसी भी जैन ग्रन्थ में देखने' में नहीं आता इसलिये बलात् यही मानना पड़ता है कि इन्द्रसूरि यह हेमचन्द्र का ही नाम है जो भूल से इन्द्रसूरि लिखा गया है और यह कुमारपाल वही है जिसने कि अपने शासन काल में जैन धर्म की असाधारण रूप से उन्नति करके बारहवीं शताब्दी के जैन इतिहास, को सदा के लिये अमर और उज्वल किया है। आशा है पाठक इस पर अवश्य विचार करेंगे । • " [ राजा और ब्राह्मणों के विवाद की आलोचना' ] ब्राह्मणों के साथ कुमारपाल राजा का हिंसाऽहिंसा के विषय में जो विवाद हुआ है । वैदिको हिंसा हिंसा न भवति - वेद में कही गई हिंसा, हिंसा नहीं प्रत्युत अहिंसा ही है इस सिद्धान्त पर ननु नच करना व्यर्थ है क्योंकि ब्राह्मण ग्रन्थों से लेकर पुराणों तक में इसी सिद्धान्त की घोषणा की है अतः इन सब की अवहेलना करनी हमारे लिये अशक्य है ? शस्त्र द्वारा वध करने पर हिंसा, अधर्म और वेद मंत्रों से वध करने पर अहिंसा एवं शस्त्र द्वारा वध किये गये पशु को दुःख होता है और मंत्रों द्वारा मारे जाने पर उसे.

Loading...

Page Navigation
1 ... 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117