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पुगए और जैन धर्म भाने लगी और राज्य का सर मामान जल कर भस्म सान होने लगा। यह देग्य गजा को बहुत दुख हुआ। सब कुछ जलना देन्य नग्न नपणक अपने २ पात्रों और दगडो को लेकर कांपन हम भागने लगे। रक्त वखो को लेकर बार बार कांपते हुए उपानन (जूनी) श्रादि को भी छोड़ कर भाग गये और कितने एक ना वीतराग : वीतराग ! कहते हुए नंगे ही भाग निकल तथा बहुत में अहंन ! अनि ! कहन हुए भागने लगे! इधर राजा भी रुदन करता हुआ वापरणों के पीछे भागा और उनके चरणों में गिर कर गिड़गड़ा ने लगा। मैं गम के दाम का भी दास हूँ, मैं शरण में
गया नु महसा राजन् गृहोत्रा नु चग्गी तदा। जिवाला नृपतिमी मुदिनीन्यपनत्तदा ॥३॥ याच पचन गना रिमान नियन-परः । जपन दागरपि गम गमरामनि पुनः ॥३॥ नम्प टासम्म दामांह रामस्य च द्विजम्य ।। अमाननिमगन नानोम्बन्धी हि माम्मतम् ॥३॥ यन्तिः प्रशाम्पना विमाः गायनं वो ददाम्यहम् ॥३॥ दामोऽस्मि सम्मन विधा मेवागन्यमा भोट । पाया प्रदात्याया. परसागभिगामिनाम ॥८॥ सपा मापाना च मुवनम्नपिना नया । पापापं गुम्मानाना नपापशमन En सम्मिनस रिमा जाना भूपाया। भन्या या पुटिका चामोसा दत्ता गागल ॥४॥ जीधित चैत्र नन्द मात निंपु गेममु । गि: प्राणासमाना: गांना दिनित नः ॥४३॥
[प्याः ३८