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लघुमास
गरुमास
38...प्रायश्चित्त विधि का शास्त्रीय पर्यवेक्षण
तीव्र आसक्ति से लगने वाले दोषों का प्रायश्चित्त क्रम | प्रायश्चित्त नाम जघन्य तप | मध्यम तप । उत्कृष्ट तप 1.
चार उपवास | पन्द्रह उपवास सत्ताईस उपवास | चार चौविहार | पन्द्रह चौविहार तीस चौविहार
उपवास | उपवास उपवास 3. | लघु चौमासी | चार बेले, पारणे | चार तेले, पारणे
| एक सौ आठ उपवास, में आयंबिल में आयंबिल । पारणे में आयंबिल 4. | गुरु चौमासी चार तेले और | पन्द्रह तेले और | एक सौ बीस उपवास
पारणे में पारणे में | और पारणे में आयंबिल आयंबिल या | आयंबिल या । अथवा पुनः दीक्षा 40 दिन का 160 दिन का अथवा 120 दिन का दीक्षा छेद | दीक्षा छेद
दीक्षा छेद। सामान्य विवक्षा से जघन्य और उत्कृष्ट दो प्रकार के प्रायश्चित्तों में सभी प्रकार के प्रायश्चित्त समाविष्ट हो जाते हैं।
• निशीथभाष्य में विशेष विवक्षा से तीन प्रकार के प्रायश्चित्त कहे गये हैं- 1. जघन्य 2. मध्यम और 3. उत्कृष्ट। प्रतिसेवी की वय, सहिष्णुता
और देश-काल के अनुसार गीतार्थ मुनि तालिका में कहे गए प्रायश्चित्त से हीनाधिक तप आदि दे सकते हैं।
एक उपवास के समकक्ष तप 1. अड़तालीस नवकारसी
एक उपवास 2. चौबीस पोरुषी
= एक उपवास 3. सोलह डेढ़ पौरुषी
एक उपवास 4. आठ पुरिमार्ध (दो पौरुषी)
एक उपवास 5. चार एकाशन
एक उपवास 6. तीन नीवी
एक उपवास 7. दो आयंबिल
एक उपवास 8. दो हजार गाथाओं का स्वाध्याय = एक उपवास