Book Title: Prayaschitt Vidhi Ka Shastriya Sarvekshan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

View full book text
Previous | Next

Page 310
________________ 244... प्रायश्चित्त विधि का शास्त्रीय पर्यवेक्षण इस तरह हम पाते हैं कि वैदिक धर्म में स्थूल एवं सूक्ष्म कईविध दुष्प्रवृत्तियों को पापमय एवं प्रायश्चित्त करणीय माना गया है। इतना ही नहीं, स्मृतियों एवं धर्मसूत्रों में तो प्रायश्चित्त न करने के दुष्परिणामों की भी चर्चा की गई है। याज्ञवल्क्य के मतानुसार पाप कृत्य का सम्यक् प्रायश्चित्त न करने से भयावह एवं कष्टकारक नरक यातना सहनी पड़ती है। मनु के अनुसार जो व्यक्ति दोषों का सम्यक् प्रायश्चित्त नहीं लेते, वे भाँति-भाँति की नरक वेदनाएँ भुगतने के उपरान्त इस लोक में निम्न कोटि के पशुओं, कीट-पतंगों, लता - गुल्मों के रूप में उत्पन्न होते हैं। प्रमुख धर्मसूत्रों एवं स्मृतियों में प्रायश्चित्त विधान (पृ. 50) के अनुसार किया गया है। विष्णुधर्मसूत्र (45 / 1 ) के अनुसार पापात्माएँ नरक गति की पीड़ाओं एवं तिर्यंच गति के दुःखों को भुगत लेने के बाद जब मनुष्य गति में आती हैं तब भी पापों को दर्शाने वाले लक्षणों से युक्त ही रहती हैं। इस वर्णन से स्पष्ट होता है कि प्रायश्चित्त न करने पर व्यक्ति अनेक तरह दुःखों को सहन करता हुआ नरक के समान जीवन व्यतीत करता है इसलिए दुष्कर्मों से रहित होकर प्रायश्चित्त करना आवश्यक है। यदि ऊपर वर्णित दोषों एवं उनके निराकरण हेतु तज्जन्य प्रायश्चित्तों के सम्बन्ध में विस्तृत परिचय प्राप्त करना हो तो निम्नांकित ग्रन्थों का अवलोकन करना चाहिए 1. आपस्तम्ब धर्मसूत्र 2. बौधायन धर्मसूत्र 3. गौतम धर्मसूत्र 4. वसिष्ठ धर्मसूत्र 5. आपस्तम्ब गृह्यसूत्र 6. विष्णुधर्मसूत्र 7. ईषदोपनिषद् 8. मनुस्मृति 9. याज्ञवल्क्यस्मृति 10. पाराशर स्मृति 11. आपस्तम्ब स्मृति 12. कात्यायन स्मृति 13. ऐतरेय आरण्यक 14. तैत्तिरीय आरण्यक 15. ऋग्वेद संहिता 16. काठक संहिता 17. ऋग्वेद भाष्य 18. शतपथ ब्राह्मण 19. तैत्तिरीय ब्राह्मण 20. गोपथ ब्राह्मण 21. मार्कण्डेय पुराण 22. धर्मशास्त्र का इतिहास 23. प्रायश्चित्त कदम्बसार संग्रह 24. प्रायश्चित्तेन्दु शेखर 25 प्रायश्चित्तौधसार 26. प्रायश्चित्तादर्श 27. प्रायश्चित्त कदम्ब आदि । बौद्ध ग्रन्थों में वर्णित प्रायश्चित्त विधान बौद्ध परम्परा में प्रायश्चित्त दान के स्पष्ट वृत्त मिलते हैं। इस धर्म संघ में दण्ड प्रक्रिया को अनेक दृष्टियों से महत्त्व दिया गया है। सामान्य तौर पर बौद्ध

Loading...

Page Navigation
1 ... 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340